PM मोदी ने दलाई लामा को फ़ोन कर उन्हें उनके 86वें जन्मदिन पर बधाई दी और इस जानकारी को एक ट्वीट के ज़रिए सार्वजानिक किया. यह बात इसलिए ग़ौरतलब है कि अतीत में दलाई लामा को कई बार बधाई के सार्वजनिक संदेश देने वाले मोदी ने पिछले कुछ वर्षों से ऐसा नहीं किया था.
PM मोदी की हिम्मत ही है की उन्होंने चीन को चक्कर में डाल दिया है. माना जा रहा था कि पिछले कुछ वर्षों में चीन से संबंध सुधारने की कोशिश में भारत सभी विवादास्पद मुद्दों पर अतिरिक्त सावधानी बरत रहा था. लेकिन अब वो आर पार की मूड में है. भारत और चीन के रिश्तों में पिछले एक साल में आई तल्ख़ी के चलते मोदी का दलाई लामा को बधाई संदेश देना एक दिलचस्प प्रकरण बन गया है.
2018 में भारत सरकार ने एक नोट के ज़रिए केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ नेताओं और सरकारी अधिकारियों को “थैंक यू इंडिया” कार्यक्रमों से दूर रहने को कहा था. भारत में तिब्बती प्रशासन ये कार्यक्रम आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के निर्वासन के 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मार्च महीने के अंत और अप्रैल की शुरुआत में मनाने जा रहा था.
ऐसा करने के पीछे वजह यह बताई गई थी कि भारत के चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लिए वो बहुत संवेदनशील समय था. सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन को “थैंक यू इंडिया” कार्यक्रम को दिल्ली की बजाय हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में अपने मुख्यालय में आयोजित करना पड़ा. चूँकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अप्रैल 2018 में चीन की यात्रा पर जाना था, इसलिए इस घटनाक्रम का एक मतलब यह निकाला गया कि शायद भारत चीन को ख़ुश रखने के लिए तिब्बत के मसले पर अपने खुले समर्थन से कतरा रहा है. लेकिन मंगलवार को नरेंद्र मोदी ने दलाई लामा को फ़ोन कर उन्हें उनके 86वें जन्मदिन पर बधाई दी.
भारत आधिकारिक तौर पर तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र को चीन का हिस्सा मानता है. लेकिन चीन दलाई लामा को चीन-विरोधी और अलगाववादी कहता रहा है और उनके साथ किसी भी तरह के संबंध रखने पर आपत्ति जताता रहा है. समय-समय पर चीन ने दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश जाने पर नाराज़गी भी दिखाई है.
प्रधानमंत्री मोदी के दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देने को भारत की तिब्बत के प्रति नीति में बदलाव कहना जल्दबाज़ी होगी. उनके अनुसार यह एक संदेश है, जिसके माध्यम से चीन को बताया जा रहा कि अगर वो संवेदनशील विषयों पर भारत को ठेस पहुँचा सकता है, तो भारत भी ठीक वैसा ही कर सकता है.
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