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डेल्टा प्लस वेरिएंट कितना खतरनाक है और क्या ये लाएगा तीसरी लहर?

डेल्टा प्लस वेरिएंट भारत में कोरोना की तीसरी लहर का सबब बन सकता है. भारत सरकार ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट के करीब 40 मामले सामने आए हैं. यह डेल्टा वेरिएंट की ही एक नई किस्म है जो संभवतः और ज्यादा तेजी से फैलता है.

कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट चिंता का सबब बनता जा रहा है. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “के417एन म्यूटेशन पर हमारा ध्यान रहा है क्योंकि वो बीटा वेरिएंट में भी पाया जाता है. ऐसी रिपोर्टें आई थीं कि बीटा वेरिएंट में इम्यून सिस्टम से बचने की विशेषता है.” भारत के जाने माने वायरोलॉजिस्ट शाहीद जमील का कहना है कि के417एन मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज उपचार के प्रभाव को कम कर देता है.

कहां कहां मिला है डेल्टा प्लस?

16 जून तक पूरी दुनिया में डेल्टा प्लस के 197 मामले देखे गए थे. इनमें से 83 अमेरिका में थे, 36 ब्रिटेन में थे, 22 पुर्तगाल में, 18 स्विट्जरलैंड में, 15 जापान में, नौ पोलैंड में, आठ भारत में, तीन नेपाल में और कनाडा, रूस और तुर्की में एक-एक. लेकिन 23 जून को भारत ने बताया कि महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में कुल मिला कर करीब 40 मामले मिले हैं.

भारत में इसका सबसे पहला मामला पांच अप्रैल को लिए गए एक सैंपल में मिला था. ब्रिटेन ने कहा है कि वहां के पहले पांच मामलों की पहचान 26 अप्रैल को हुई थी. ये लोग ऐसे लोगों के संपर्क में आए थे जो नेपाल और तुर्की से या तो आए थे या वहां से हो कर गुजरे थे. ब्रिटेन और भारत दोनों के ही मामलों में किसी की मृत्यु नहीं हुई थी.

कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट से जुड़ी चिंताएं

भारत और दूसरे देशों में इस समय इस म्यूटेशन के खिलाफ मौजूदा टीकों की प्रभावकारिता का पता लगाने के लिए अध्ययन चल रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा, “डब्ल्यूएचओ इस वेरिएंट को डेल्टा वेरिएंट के एक हिस्से के रूप में ही ट्रैक कर रहा है, जैसा की हम चिंता पैदा करने वाले दूसरे वेरिएंट के लिए कर रहे हैं.” संगठन ने यह भी कहा,”इस समय यह वेरिएंट ज्यादा मात्रा में नहीं मिला है और यह डेल्टा मामलों के बस कुछ ही मामलों में मिला है. डेल्टा और दूसरे चिंताजनक वेरिएंट अभी भी जन स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बने हुए हैं.”

डेल्टा प्लस वेरिएंट से कैसे बचे भारत?

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी कि जिन प्रांतों में यह पाया गया है वहां “सर्विलांस, ज्यादा जांच, कांटेक्ट ट्रेसिंग और टीकाकरण” की जरूरत है. विशेषज्ञों को चिंता है कि डेल्टा प्लस भारत में संक्रमण की एक और लहर ना ले आए. सरकारी संस्थान आईसीएमआर के एक वैज्ञानिक तरुण भटनागर का कहना है, “संभव है कि यह म्यूटेशन अपने आप में कोई तीसरी लहर नहीं लाए पाएगा, चूंकि यह कोविड के हिसाब से व्यवहार के पालन पर भी निर्भर करता है.

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