योगी आदित्यनाथ अच्छी नहीं लगी मोदी-शाह की ये बात

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योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सबसे ज्यादा चमकने वाले नेता बन गए हैं. पिछले 5 सालों में उनका कद दूसरे किसी भी नेता से ज्यादा ऊंचा हुआ है. लेकिन बीते दो हफ्तों से लखनऊ में संघ और बीजेपी आलाकमान की बैठकों ने माहौल बदल दिया है.

योगी आदित्यनाथ को सीएम पद से हटा सकती है बीजेपी?

योगी आदित्यनाथ को संभालना क्या पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बूते की बात नहीं रही है? क्योंकि सरकार और संगठन में बदलाव की संभावनाओं के बीच दोनों स्तरों पर नेतृत्व परिवर्तन तक की चर्चा ज़ोर-शोर से हो रही है. लेकिन उत्तर प्रदेश की सियासी हलचल पर अपनी पैनी नजर रखने वाले लोग बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ को सीएम की कुर्सी से हटाकर बीजेपी अपनी कब्र खुद नहीं खोदेगी.

योगी आदित्यनाथ ने कर दी है बगावत, मोदी-शाह के लिए संभालना हुआ मुश्किल

करीब 4 महीने पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूर्व नौकरशाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाने वाले अरविंद कुमार शर्मा की एंट्री हुई. अरविंद कुमार शर्मा की एंट्री चौंकाने वाली इसलिए थी किसी को भी इस बात का इलहाम नहीं था कि कोई नया नाम इस तरह से उन नेताओं के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा जो लंबे समय से बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में काम कर रहे हैं. शर्मा ने इसी साल जनवरी में अपने रिटायरमेंट से महज़ कुछ दिन पहले इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए और देखते ही देखते उन्हें बीजेपी ने विधान परिषद के ज़रिए सदन में भी भेज दिया.

योगी को नहीं पसंद आया पार्टी का फैसला

अब उड़ती उड़ती खबर यह भी आ रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अरविंद कुमार शर्मा की उत्तर प्रदेश में इस तरह एंट्री रास नहीं आई और उन्होंने शर्मा को उत्तर प्रदेश में कोई बड़ा पद देने से इनकार कर दिया. योगी का इनकार बीजेपी आलाकमान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले के विपरीत है. शुरू में राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने यह तक कह दिया कि अरविंद शर्मा मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं. हालांकि उनके डिप्टी सीएम या फिर गृह जैसे महत्वपूर्ण विभागों के साथ कैबिनेट मंत्री बनने की चर्चाएं ज़्यादा विश्वसनीय तरीक़े से की गईं. लेकिन चार महीने बीत जाने के बावजूद अरविंद शर्मा को न तो मंत्रिपरिषद में जगह दी गई और न ही कोई अन्य महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी. इसके पीछे कारण योगी आदित्यनाथ बताए जा रहे हैं.

सीएम योगी अरविंद कुमार शर्मा को राज्यमंत्री से ज्यादा कुछ भी देने को तैयार नहीं

अंदर खाने से तो यहां तक खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अरविंद कुमार शर्मा को उत्तर प्रदेश में कोई भी बड़ी जिम्मेदारी देने को तैयार नहीं है उन्होंने दो टूक बीजेपी आलाकमान को मना कर दिया है. अंदर से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक, पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को यह अक्सर याद दिलाता रहता है कि वो मुख्यमंत्री किसकी वजह से बने हैं और मौक़ा पाने पर योगी आदित्यनाथ भी यह जताने में कोई कसर नहीं रखते कि नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी में प्रधानमंत्री के विकल्प वो ही हैं.

क्या योगी को मिल रहा है संघ से पूरा समर्थन?

लखनऊ और उत्तर प्रदेश की राजनीति पर निगाह रखने वाला एक धड़ा तो यह भी कहता है कि योगी आदित्यनाथ की ताकत को बढ़ाने के लिए संघ पीछे से उनके ऊपर हाथ रखे हुए हैं. और योगी को मोदी के विकल्प के तौर पर तैयार करने का काम संघ ही कर रहा है. योगी आदित्यनाथ के साथ संघ है. तमाम विरोधों के बावजूद संघ की वजह से ही वो मुख्यमंत्री बने थे और अभी भी वो संघ की पसंद हैं. अरविंद शर्मा को पैराशूट की तरह से यहां भेजने के क़दम को भी आरएसएस ठीक नहीं मानता.

मोदी-शाह की जोड़ी क्या योगी आदित्यनाथ के बढ़ते कद को देखकर डर गई?

योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का कार्यकाल लगभग पूरा होने वाला है. लेकिन चुनाव से ऐन पहले मुख्यमंत्री बदलने की बात करना कुछ लोगों को हजम नहीं हो रहा है. क्योंकि इससे पहले मुख्यमंत्री बदलने को लेकर कभी चर्चाएं नहीं हुई. आरएसएस और बीजेपी संगठन की बैठकों में पिछले चार साल में यह पहली बार हो रहा है जब कुछ मंत्रियों को अकेले-अकेले बुलाकर फ़ीडबैक लिया जा रहा है. हाल के दिनों में कई विधायकों ने भी योगी के खिलाफ बगावत की है और इससे केंद्रीय नेतृत्व को यह मौका मिला है कि वह उनकी ताकत कम करें.

अरविंद शर्मा मामले में योगी आदित्यनाथ के रवैये को लेकर बीजेपी में कोई भी नेता या प्रवक्ता कुछ भी कहने को तैयार नहीं है लेकिन इस बात को सभी लोग स्वीकार कर रहे हैं कि पार्टी में अंदरख़ाने सब कुछ ठीक नहीं है.

RSS यूपी के घटना पर रख रहा है पैनी नजर

पिछले हफ़्ते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भी यूपी की राजनीतिक नब्ज़ टटोलने के लिए लखनऊ आए थे. इससे तीन दिन पहले, दिल्ली में उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ दत्तात्रेय होसबाले की अहम बैठक हुई थी. इस बैठक में यूपी बीजेपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल भी शामिल हुए थे. यूपी की राजनीति पर चर्चा के लिए हुई इस अहम बैठक में न तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और न ही प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को बुलाया गया था. जानकारों की मानें तो सीएम योगी आदित्यनाथ को यह बात बुरी लगी थी.

अब लखनऊ में बंद कमरों के संघ और बीजेपी के नेताओं के बीच क्या खिचड़ी पक रही है इसका अंदाजा लगने लगा है. लेकिन क्या इससे योगी आदित्यनाथ को लगाम लगाई जा सकती है? यह प्रश्न अभी भी बरकरार है. क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी उत्तर प्रदेश में कोई भी जोखिम लेना नहीं चाहती.

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