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अखिलेश यादव को पिता मुलायम ने दिया 2022 में जीत का मंत्र, शिवपाल के बारे में कही ये बड़ी बात

अखिलेश यादव 2022 में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में दोबारा से सत्ता पर काबिज कराने के लिए तैयारियों में जुटे हुए हैं. ऐसे में पिता मुलायम सिंह यादव ने उन्हें एक जीत का अचूक फार्मूला दिया है. और शिवपाल यादव के बारे में भी एक बड़ी बात कही है.

बात शुरू करने से पहले आप को यह समझाना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी ने 2022 के लिए जो राजनीतिक जमीन तैयार की है उसमें नफा-नुकसान काफी हद तक पार्टियों की रणनीति पर टिका हुआ है. ऐसे में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव आगामी विधानसभा चुनाव Up Elections 2022 के लिए क्या रणनीति तैयार कर रहे हैं यह समझना बेहद जरूरी है. दरअसल उत्तर प्रदेश में अगर समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) दोनों साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव Up Elections 2022 लड़ते हैं तो इसका सीधा सीधा फायदा मिलेगा. कम से कम सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का तो यही मानना है और उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से परिवार की लड़ाई खत्म करने को कहा है.

अखिलेश यादव को पिता मुलायम ने दिया जीत का मंत्र

हाल ही में हुई समाजवादी पार्टी की अहम बैठक में मुलायम सिंह यादव के साथ शिवपाल (Shivpal Singh Yadav) और अखिलेश दोनों बैठे. मुलायम सिंह यादव ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त देने के लिए परिवार में एका जरूरी है. उन्होंने अखिलेश यादव को M-Y (मुस्लिम-यादव) फॉर्मूले को दुरुस्त करने के साथ ही गैर यादव ओबीसी वोटर्स के बीच जनाधार बढ़ाने की भी सलाह दी. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सूत्रों के मुताबिक, बैठक में चाचा-भतीजे फिलहाल किसी अंतिम निष्कर्ष पर तो नहीं पहुंचे, लेकिन दोनों एक बार फिर मिलने की बात पर सहमत हो गये हैं. जल्द ही दोनों नेताओं के बीच अगली बैठक हो सकती है.

अखिलेश यादव और शिवपाल के बिगाड़ से बिगड़ा पार्टी का खेल

2017 का विधानसभा चुनाव तो आपको याद ही होगा जिसमें चुनाव से ठीक पहले चाचा-भतीजे के मध्य वर्चस्व की जंग छिड़ी थी. इसके बाद दोनों की राहें जुदा हो गईं. तबसे समाजवादी पार्टी लगातार दो चुनावों में बीजेपी से करारी हार का सामना कर चुकी है. 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा सिर्फ 47 सीटों पर सिमट गई, जबकि, तमाम दावों के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव में मात्र पांच सीटें ही जीत सकी. ऐसे में पिता मुलायम ने बेटे अखिलेश को जीत का मंत्र दिया है.

बीजेपी की मुश्किल बढ़ा सकती है चाचा-भतीजे की जोड़ी

बीजेपी की मुश्किल बढ़ा सकती है चाचा-भतीजे की जोड़ी
सपा से अलग होने के बाद से Shivpal Yadav और उनकी पार्टी भले ही कोई कमाल नहीं कर सकी, लेकिन सपा को जरूर नुकसान हुआ. पिछले चुनावों में यह साबित हुआ कि मुलायम परिवार के गढ़ इटावा-आगरा बेल्ट में प्रसपा ने सपा को नुकसान पहुंचाया. यह भी साबित हुआ कि दोनों साथ आयें तो समीकरण बदल सकता है. हाल ही में जिला पंचायत चुनाव में इटावा में शिवपाल यादव ने सपा कैंडिडेट का समर्थन कर बीजेपी की तमाम कोशिशों पर पानी फेर दिया. अब सपा के एक धड़े का मानना है कि चाचा-भतीजे की जोड़ी आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की राह का रोड़ा बन सकती है. लेकिन, अगर अखिलेश चाचा के साथ पैचअप नहीं करते हैं तो यह तय है कि सपा को उसके गढ़ में सबसे ज्यादा नुकसान शिवपाल ही पहुंचाएंगे.

गैर यादव OBC बिरादरी पर फोकस

सपा सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव गैर यादव ओबीसी बिरादरी में पार्टी का जनाधार बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं. खासकर वह मौर्य, शाक्य, कुशवाहा और सैनी जातियों को साथ जोडऩा चाहते हैं जो 2014 से बीजेपी के साथ हैं. इसके लिए वह ‘भागीदारी संकल्प मोर्चा’ की तरह छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों से गठबंधन की योजना बना रहे हैं. 2019 में योगी मंत्रिमंडल से बर्खास्त होने के बाद से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने ‘भागीदारी संकल्प मोर्चा’ गठित किया है, जिसमें आठ दल शामिल हैं और सभी दल अलग-अलग बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हैं.

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