अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कोरोना काल (Corona pandemic) में मिडिल क्लास की मदद के लिए सरकार को सुझाव दिया है. ऐसे वक्त में जब लॉकडाउन (Lockdown) के चलते व्यापार और रोजगार चौपट हो गया है तब भारत का यह बड़ा वर्ग सरकार की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है.
भारत में कहर ढा रही कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर ने समाज के हर तबके को प्रभावित किया है। वायरस की पहली लहर इतनी अधिक भयावह नहीं थी। मई के पहले सप्ताह में एक दिन में संक्रमित लोगों का आंकड़ा चार लाख और मृतकों की संख्या चार हजार से अधिक हो चुकी है। अस्पतालों में लोग बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाइयों की कमी से जूझ रहे हैं। मध्यम वर्ग (Middle Class) के बहुत बड़े हिस्से पर संकट की जबर्दस्त मार पड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करने वाला यह वर्ग अब बेचैन है। वह मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर सामने आया है। ग्लोबल लीडर्स एप्रूवल रेटिंग ट्रैकर के अनुसार मोदी की लोकप्रियता में 13% की गिरावट आई है।
अखिलेश यादव ने क्या सुझाव दिया है?
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कोरोना काल में मिडिल क्लास की मदद के लिए सरकार से अपील की है इस वर्ग को सभी प्रकार के करों से मुक्ति दी जाए या किसी भी तरह के जुर्माने, बकाया क्या करों पर ब्याज माफ किया जाए. अखिलेश ने ट्वीट करके कहा, ‘कोरोना से शहरों में जनता के रोज़गार, नौकरी व कारोबार पर जिस तरह आर्थिक मार पड़ी है, उसे देखते हुए भाजपा सरकार से आग्रह है कि वो गृह-कर व जल-कर के बिलों में किसी भी प्रकार के जुर्माने व बकाया पर ब्याज माफ़ करे.’
उन्होंने कहा, ‘इससे तंगहाली के इस काल में निम्न व मध्य वर्ग को बहुत राहत मिलेगी.’ अखिलेश यादव का सुझाव या मांग इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि सरकार बनाने या गिराने में मिडिल क्लास की एक बड़ी भूमिका होती है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार हो या केंद्र में. इस वर्ग ने भारतीय जनता पार्टी का भरपूर समर्थन किया है और यही कारण है कितने विशाल बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी है लेकिन हाल के दिनों में मिडिल क्लास के बीच बीजेपी, पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता घटी है.
अखिलेश यादव को क्यों याद आया मिडिल क्लास?
वाशिंगटन स्थित प्यू रिसर्च सेंटर का अनुमान है, बीते वर्ष मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या तीन करोड़ 20 लाख कम हो गई है। पूर्व आईपीएस अधिकारी और कांग्रेस पार्टी के नेता अजय कुमार कहते हैं, लोग पहली लहर में कोविड-19 से दूसरे लोगों की मौत की खबर सुनते थे। अब तो स्वयं उनके परिजन प्रभावित हो रहे हैं। सेंटर फॉर स्टडी डेवलपिंग सोसायटीज में चुनावी राजनीति के रिसर्च प्रोग्राम लोकनीति के सह डायरेक्टर संजय कुमार कहते हैं, मोदी ने बहुत लोगों को निराश किया है। इनमें मध्यम वर्ग का बड़ा हिस्सा शामिल है।
प्रधानमंत्री को नापसंद करने वालों की संख्या में इजाफा
प्रधानमंत्री के काम को नापसंद करने वालों लोगों की संख्या अगस्त 2019 के 12% से इस वर्ष अप्रैल में बढ़कर 28% हो गई है। कुमार कहते हैं, लगता है,मोदी ने संकट पर अधिक ध्यान नहीं दिया और लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया। अक्टूबर 2020 में औसत पारिवारिक आमदनी पिछले साल के मुकाबले 12% कम हो गई। प्यू रिपोर्ट के अनुसार गरीबों के साथ लोअर मिडिल क्लास पर भी आर्थिक बोझ पड़ा है। भारत में 2024 तक आमचुनाव नहीं होंगे। लेकिन, राज्य विधानसभा के चुनावों खासकर बंगाल में भाजपा को निराशा हाथ लगी है। हालांकि वर्तमान संकट के व्यापक राजनीतिक प्रभाव का आंकलन करना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन मोदी की रेटिंग उतार पर है।
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