चीन मंगल पर सफलतापूर्वक रोवर भेजने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है. चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि चु रोंग रोवर (चीन के पौराणिक अग्नि और युद्ध के देवता) ने शनिवार को मंगल पर सफ़लतापूर्वक लैंड किया.
सात महीने की अंतरिक्ष यात्रा, तीन महीने तक ऑर्बिट की परिक्रमा और आख़िर के सबसे अहम नौ मिनट के बाद चीन मंगल पर सफलतापूर्वक रोवर भेजने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है.
चीन मंगल पर रोवर भेजकर क्या करेगा?
रोवर एक छोटा अंतरिक्ष रोबोट होता है जिनमें पहिए लगे होते हैं. चु रोंग छह पहियों वाला रोवर है. यह मंगल के यूटोपिया प्लेनीशिया समतल तक पहुँचा है जो मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध का हिस्सा है. मंगल पर चीन के रोवर का उतरना एक बड़ी सफलता है. चीनी इंजीनियर इस पर लंबे समय से काम कर रहे थे. मार्स की वर्तमान दूरी 32 करोड़ किलोमीटर है, इसका मतलब ये हुआ कि पृथ्वी तक रेडियो संदेश पहुँचने में 18 मिनट का वक़्त लगेगा.
चु रोंग क्यों खास है?
- चीन ने इस रोवर में एक प्रोटेक्टिव कैप्सूल, एक पैराशूट और रॉकेट प्लेफॉर्म का इस्तेमाल किया है.
- यूटोपिया प्लेनीशिया से चीन का यह रोवर मंगल ग्रह की तस्वीरें भेजेगा.
- चुरोंग मंगल ग्रह से अगले 90 दिनों में सूचनाओं को जुटाने और भेजने के मिशन में क़ामयाब रहता है तो चीन अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा देश होगा, जिसके नाम यह क़ामयाबी होगी.
- सोवियत संघ ने भी 1971 में मार्स पर 3 रोवर भेजे थे लेकिन सिग्नल टूट गया था और वहाँ से कोई सूचना नहीं आ पाई थी.
- चीनी रोवर यूटोपिया प्लेनीशिया, या नोव्हेयर लैंड प्लेन में उतरा है जो उत्तरी गोलार्ध में दो हज़ार मील चौड़ा एक विशाल बेसिन है.
चीन मंगल पर पहुंचा लेकिन चुनौती बाकी
मंगल ग्रह मुश्किल और चुनौतीपूर्ण पर्यावरण के लिए भी जाना जाता है. यहां धूल भरी आँधी बहुत शक्तिशाली होती है. किसी भी अंरतिक्ष मिशन के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होती है. वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर मंगल ग्रह की सतह पर कभी पानी रहा होगा तो यह क्षेत्र तब ऊपरी हिस्से को कवर करने वाले महासागर (पानी) के नीचे रहा होगा और अगर इसे सही पाया जाता है तो यूटोपिया प्लैनीशिया या नोव्हेयर लैंड प्लेन के नीचे ही पानी के अवशेष हो सकते हैं. साल 2016 में नासा के वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला था कि वहाँ वास्तव में बहुत अधिक बर्फ़ है और यह काफ़ी बड़े इलाक़े में है.
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