डायबिटीज या शुगर का इलाज हमें से बहुत से लोग अक्सर तलाशते रहते हैं. ये चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें शुगर लेवल हाई हो जाता है. तो आइए जानते हैं कि आप कुछ घरेलू उपाय उसे इस बीमारी को कैसे मात दे सकते हैं?
अगर आपको बार-बार पेशाब आना, प्यास लगना और भूख में वृद्धि होती है तो यह हाई शुगर लेवल के लक्षण हो सकते हैं. पर अगर आपने सही समय पर इसका इलाज नहीं किया डायबिटीज कई जटिलताओं का कारण बन सकता है. डायबिटीज की वजह से व्यक्ति का अग्न्याशय (Pancreas) पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन को ठीक प्रकार से प्रतिक्रिया नहीं देती. इंसुलिन का काम ग्लूकोज को अन्य कोशिकाओं तक पहुँचाने का होता है और डायबिटीज के रोगी के शरीर में इन्सुलिन बनना बंद या कम होने से शरीर में चीनी अथवा ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है. आज के समय में सिर्फ अधिक उम्र के लोगों में ही नहीं आज के समय में बच्चे भी डायबिटीज की चपेट में आ रहे है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 350 मिलियन लाग इस बीमारी से पीड़ित है और अगले कुछ वर्षों में यह संख्या दुगनी हो जाएगी.
डायबिटीज, शुगर या मधुमेह क्या होता है (What is Diabetes in hindi)
आयुर्वेद में डायबिटीज को मधुमेह कहा गया है. अनुचित आहार-विहार, व्यायाम न करना, शारीरिक श्रम कम करना, अत्यधिक तनाव आदि इन सब कारणों से व्यक्ति के त्रिदोष वात, पित्त और कफ असन्तुलित हो जाते है और मधुमेह रोग को जन्म देते है. वैसे तो मधुमेह में तीनो दोषों में असंतुलन देखा जाता है परन्तु मुख्यत इसमें कफ दोष का प्रभाव मूल होता है.
डायबिटीज क्यों होता है? (Causes of Diabetes)
अगर हमारे शरीर में पैनक्रियास नामक ग्रन्थि के ठीक से काम नहीं करती है तो डायबिटीज होने के खतरा बढ़ जाता है. इसके अन्य भी कारण हो सकते है पर पैनक्रियास ग्रन्थि का सबसे बड़ा कारण होता है. हमारी पैनक्रयास ग्रन्थि से विभिन्न हार्मोन्स निकलते है, इनमें मुख्य है इन्सुलिन और ग्लूकॉन. इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है, इसकी वजह से हमारे रक्त में हमारी कोशिकाओं को शुगर मिलती है. इन्सुलिन शरीर के अन्य भागें में शुगर पहुँचाने का काम करता है.
हमारे शरीर में इंसुलिन का क्या काम है?
इंसुलिन हार्मोन का कम निर्माण होना. जब इन्सुलिन हार्मोन कम बनता है तो कोशिकाओं तक और रक्त में शुगर ठीक से नहीं पच पाती जिससे कोशिकाओं की ऊर्जा कम होने लगती है और इसी कारण से शरीर को नुकसान पहुँचने लगता है. जैसे- बेहोशी आना, दिल की धड़कन तेज होना आदि. इंसुलिन के कम निर्माण के कारण रक्त में शुगर अधिक हो जाती है क्योंकि जब इंसुलिन कम बनता है तो कोशिकाओं तक और रक्त में शुगर जमा होती चली जाती है और यह मूत्र के जरिए निकलने लगता है. इसी कारण डायबिटीज के मरीज को बार-बार पेशाब आती है.
डायबिटीज होने में अनुवांशिकता भी एक कारण
डायबिटीज होने में अनुवांशिकता भी एक कारण है. यदि परिवार के किसी सदस्य माँ-बाप, भाई-बहन में से किसी को है तो डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है.
मोटापा भी डायबिटीज के लिए जिम्मेदार
मोटापा भी डायबिटीज के लिए जिम्मेदार होता है. समय पर न खाना या अधिक जंकफूड खाना और मोटापा बढ़ना डायबिटीज के कारण है. वजन बहुत ज्यादा बढ़ने से उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है और रक्त में कॉलेस्ट्रोल का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस कारण डायबिटीज हो सकता है.
डायबिटीज के प्रकार (Types of Diabetes)
डायबिटीज दो तरह के होते हैं-
टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes)-डायबिटीज के रोगी के शरीर में इन्सुलिन का निर्माण आवश्यकता से कम होता है. इस अवस्था को बाहर से इन्सुलिन देकर नियंत्रित किया जा सकता है. इसमें रोगी का अग्न्याशय या पैनक्रियास की बीटा कोशिकाएँ इन्सुलिन नहीं बना पाती जिसका उपचार लगभग असम्भव है. यह प्रकार बच्चों को एवं 18-20 साल तक के युवाओं को प्रभावित करता है.
टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes)-रोगी का शरीर इन्सुलिन का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. इसमें शरीर इन्सुलिन बनाता तो है लेकिन कम मात्रा में और कई बार वह इन्सुलिन अच्छे से काम नहीं करता. टाइप-1 डायबिटीज को उपचार और उचित खानपान से नियंत्रित किया जा सकता है। यह डायबिटीज वयस्कों को होता है.
शुगर के लक्षण (Symptoms of Diabetes)
डायबिटीज में शरीर का ग्लूकोज बढ़ने के साथ और भी लक्षण महसूस या दृष्टिगोचर होते हैं वह इसप्रकार हैं-
- अधिक भूख एवं प्यास लगना।
- अधिक पेशाब आना।
- हमेशा थका महसूस करना ।
- वजन बढ़ना या कम होना।
- त्वचा में खुजली होना या अन्य त्वचा संबंधी समस्याएँ होना।
- उल्टी का मन होना।
- मुँह सूखना।
- बाहरी संक्रमण के प्रति शरीर संवेदनशील हो जाता है।
- नेत्र संबंधी समस्याएँ जैसे- धुंधला दिखना।
- अधिक पेशाब आने से शरीर निर्जलित हो जाता है जिस कारण बार-बार प्यास लगती है।
- कोई घाव होने पर उसके ठीक होने में समय लगता है। डायबिटीज में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक तरह से काम नहीं करती।
- महिलाओं में अक्सर योनि में कैंडिड इंफेक्शन होने को खतरा रहता है।
- रक्त में अतिरिक्त चीनी से तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो सकता है.
- व्यक्ति अपने हाथ और पैरों में झनझनाहट महसूस करता है साथ ही हाथ-पैरों में दर्द एवं जलन हो सकती है. में व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है जिससे कि मसूड़ें में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और मसूड़े कमजोर होकर दाँत ढीले हो सकते है.
- निर्जलीकरण के कारण मुँह में शुष्कता रहती है.
शुगर से बचने के उपाय (How to prevent Diabetes)
यदि उचित खान पान और जीवनशैली के साथ घरेलु उपचारों का प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है। उचित आहार और जीवनशैली का पालन करने से डायबिटीज में होने वाले लक्षण एवं जटिलताओं से भी बचा जा सकता है।
-सब्जियों में करेला, ककड़ी, खीरा, टमाटर, शलजम, लौकी, तुरई, पालक, मेथी, गोभी यह सब खाना चाहिए। आलू और शकरकन्द का सेवन नहीं करना चाहिए।
-फलों में सेब, अनार, संतरा, पपीता, जामुन, अमरुद का सेवन करें इसके विपरीत आम, केला, लीची, अंगूर इस प्रकार के मीठे फल कम से कम खाने चाहिए।
-सूखे मेवों में बादाम, अखरोट, अंजीर खाएँ। किशमिश, छुआरा, खजूर इनका सेवन न करें।
-चीनी, शक्कर, गुड़, गन्ने का रस, चॉकलेट इनका सेवन बिल्कुल न करें।
-एक बार में अधिक भोजन न करें बल्कि भूख लगने पर थोड़े मात्रा में भोजन करें।
-डायबिटीज के रोगी को प्रतिदिन आधा घंटा सैर करनी चाहिए और व्यायाम करना चाहिए।
-प्रतिदिन प्राणायाम करना चाहिए तथा जितना हो सके तनावयुक्त जीवन जीना चाहिए.
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