यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना का खौफ…गांव में फैली है महामारी

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यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना महामारी कहर बरपा रही है. गांव-गांव में बीमारी फैली हुई है और लोग मर रहे हैं. टेस्टिंग की कमी, दवाइयों की किल्लत और जर्जर मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर ने गांव देहात में रहने वाले लोगों को एक अंधी गली में धकेल दिया है.

अपने खेत से चिता बुझने के बाद राख इकट्ठा करते नरेंद्र खुद से बहुत नाखुश हैं. उन्हें मलाल है कि वह अपने पिता को वक्त रहते इलाज के लिए कानपुर क्यों नहीं ले कर गए. नरेंद्र के पिता करीब 1 हफ्ते से बुखार और खांसी के शिकार थे. शुरुआत में नरेंद्र अपने पिता को गांव के पास ही बैठने वाले एक डॉक्टर से दवाई दिलाते रहे लेकिन जब आराम नहीं हुआ और पिता की तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो उन्होंने अपने पिता को कानपुर ले जाने का फैसला किया. लेकिन रास्ते में ही पिता ने दम तोड़ दिया.

गंगा घाट पर प्रदूषण, खेतों में हो रहा अंतिम संस्कार

नरेंद्र बताते हैं कन्नौज जिले के तेरा जाकेट ब्लॉक में पड़ने वाले उनके गांव ब्राहिमपुर में लगातार लोग मर रहे हैं. घर-घर में बीमारी फैली है और लोगों को यह पता ही नहीं खेल आज कहां कराया जाए. पिछले करीब 2 हफ्तों में आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. सब की उम्र 50 से ज्यादा थी. नरेंद्र अपने पिता को अंतिम संस्कार के लिए पास के ही गंगा घाट पर इसलिए लेकर नहीं गए क्योंकि वहां बहुत ज्यादा प्रदूषण हो गया है. नरेंद्र के गांव के पास सिंघीरामपुर घाट पर रोजाना 100 से ज्यादा लाशें पहुंच रही हैं एक बार में करीब 20 से 25 लाशों को मुखाग्नि दी जाती है.

सिर्फ नरेंद्र ही नहीं नरेंद्र जैसे दर्जनों लोग दहशत के साए में हैं. नरेंद्र के गांव वालों ने अब अपनों के सब अपने खेतों में जलाने का फैसला किया है क्योंकि गंगा घाट पर जगह नहीं है. ब्राहिमपुर में ही रहने वाले छोटे बताते हैं की बीमारी विकराल रूप ले चुकी है. जो लोग मर रहे हैं उनके मरने की वजह स्पष्ट नहीं है. यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना बुरी तरह से फैला हुआ है. ऐसे में अगर आप बीमार हो जाएं तो इलाज नसीब होना भी मुश्किल है.

यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना, इलाज का इंतजाम नहीं

भारत में कोरोना की दूसरी लहर ग्रामीण इलाकों में भी कहर ढा रही है. इस महामारी के दौरान जब महानगरों और शहरों में स्वास्थ्य का ढांचा बुरी तरह चरमरा गया है, ग्रामीण इलाकों की हालत और बुरी है. पर्याप्त जांच नहीं होने की वजह से देहाती इलाकों से असली आंकड़े भी सामने नहीं आ रहे हैं. एक तो जांच की सुविधा कम है और दूसरे आतंक के मारे लोग जांच कराने भी नहीं पहुंच रहे हैं. संक्रमण के लक्षण उभरने के बाद लोग नीम हकीमों से पूछ कर दवा खा रहे हैं. उनमें से कइयों की संक्रमण से मौत हो रही है. लेकिन ऐसे मृतकों को कोरोना से मरने वालों की सूची में शामिल नहीं किया जाता. इसलिए तमाम देशी-विदेशी अखबारो में दावे किए जा रहे हैं कि कोरोना से मरने वालो की तादाद सरकारी आंकड़ों के मुकाबले कम से कम दस गुनी ज्यादा है.

यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामलों में भारी इजाफा हुआ है. राज्य में लागू लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है. गुजरात सरकार ने 36 शहरों में रात का कर्फ्यू लगा दिया है, लेकिन गांवों में कोरोना की वजह से स्थिति भयावह होती जा रही है. मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भी हालत बिगड़ रही है. राज्य में 819 कोविड सेंटर हैं जिनमें से महज 69 ग्रामीण इलाकों में हैं.

दर्जन भर राज्यों में तेज संक्रमण

देश के कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 24 में से 13 राज्य ऐसे हैं जहां अब ग्रामीण इलाको में संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इनमें से कई जिले ऐसे हैं जहां हर दूसरा व्यक्ति पाजिटिव मिल रहा है. ऐसे मामलों में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है जहां कुल मामलों में से 89 फीसदी ग्रामीण इलाकों से सामने आ रहे हैं. इसके बाद क्रमशः 79 और 76 फीसदी के साथ हिमाचल प्रदेश और बिहार का स्थान है. हरियाणा में 50 फीसदी मरीज शहरी और 50 फीसदी संक्रमित ग्रामीण इलाकों से हैं.

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