गंगा में मिली दर्जनों लाशें किसकी है …क्या कोरोना संक्रमित थे मरने वाले?

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बिहार के चौसा में गंगा में मिली लाशें किसकी हैं? ये शव महादेव घाट के आसपास कई शव मिलने के एक दिन बाद मंगलवार को 71 मिले, यह शव किसके हैं और क्या मरने वाले कोरोना से संक्रमित थे यह सवाल अभी भी जस का तस बना हुआ है.

बिहार के चौसा में गंगा नदी के महादेव घाट के आसपास कई शव मिलने के एक दिन बाद मंगलवार को 71 और शव मिले …बक्सर ज़िला प्रशासन ने अपनी तरफ़ से जारी एक प्रेस रिलीज़ में कहा है, ”हमें 71 शव मिले, जिन्हें पोस्टमॉर्टम के बाद दफ़्न करवा दिया गया. डीएनए सैंपल सुरक्षित रख लिया गया है. भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हों इसके लिए ज़िला प्रशासन सतर्क है. अधिकारियों से कहा गया है कि गंगा नदी के किनारे गश्त दल को सक्रिय किया जाए.”

गंगा में मिली दर्जनों लाशें… क्या बोले मंत्री?

मोदी सरकार में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गंगा नदी में शव फेंके जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने राज्यों से कहा है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें.
उन्होंने कहा, ”यह निश्चिच तौर पर जांच का मामला है. मोदी सरकार माँ गंगा की निर्मलता और अविरल प्रवाह को लेकर प्रतिबद्ध है. इस तरह से अधजले शवों को गंगा में फेंकने से न केवल नदी प्रदूषित होगी बल्कि संक्रमण फैलने का भी डर है.”

बिहार तक सीमित नहीं है लाशें मिलने का सिलसिला

मामला केवल बिहार के चौसा का ही नहीं है. मंगलवार को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले में भी क्षत-विक्षत अवस्था में कम से कम दो दर्जन शव मिले. ज़िला प्रशासन शवों की शिनाख्त करने की कोशिश कर रहा है कि ये कोविड पीड़ित थे या नहीं. ज़िला प्रशासन का कहना है कि ये शव 10 से 15 दिन पुराने हैं. उधर बलिया बिहार की सीमा पर भी गंगा नदी के किनारे दर्जनों शव मिलने की बात कही जा रही है.

गंगा में मिली लाशें किसकी है ?

बिहार में बक्सर के चौसा प्रखंड में लगने वाले सिमरी प्रखंड के केशोपुर पंचायत, वीस का डेरा, तिलक राय का हाता और मानसिंह पट्टी में भी स्थानीय लोगों के मुताबिक़ गंगा में लाशें फेंकी जा रही हैं. स्थानीय लोगों का कहना है, “लोग ग़रीब हैं, दाह संस्कार नहीं कर पा रहे है. प्रशासन का भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है तो परिजन शव ऐसे ही गंगा जी में फेंक कर चले जा रहे है. घाट किनारे आकर शव लग रहे हैं. मानसिंह पट्टी, केशोपुर पंचायत जो गंगा जी से एकदम नज़दीक 100-150 मीटर की दूरी पर हैं, वहाँ दुर्गंध फैल रही है.”

क्या मरने वाले कोरोना संक्रमित थे?

जिला प्रशासन जहां इस बात से इंकार कर रहा है वहीं स्थानीय लोग दूसरी बात कहते हैं, उनका कहना है कि कोरोना के वक़्त में लोग लाश ऐसे ही फेंक कर चले जाते हैं, मना करने पर मानते नहीं हैं. रोज़ाना यहाँ लाशें दिखती हैं, प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. बलिहार पंचायत रहने वाले राधेश्याम बताते हैं कि गाँव के बगल में ही वीस का डेरा का घाट है. ये सारी लाशें कोरोना की वजह से आ रही हैं. ऐसा नहीं है कि कोरोना काल में लाशों की हो रही इस बेकद्री से सिर्फ़ बक्सर के लोग परेशान हैं. सिवान के गुठनी प्रखंड के योगियाडीह गाँव के लोग भी परेशान हैं. योगियाडीह के निवासियों ने गाँव की सड़क पर बांस लगाकर मिश्र घाट (श्मशान घाट) जाने का रास्ता ही बंद कर दिया है.

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