5G इंटरनेट क्या कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक है? लोग कर रहे हैं डरावनी बातें

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5G इंटरनेट को लेकर लोगों के बीच डर का माहौल है. गांव देहात के इलाकों में इस तकनीक को लेकर लोग डरावनी बातें कर रहे हैं. लोगों का मानना है कि यह कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक है.

‘5G इंटरनेट की टेस्टिंग #5GInternetTesting चल रही है इसलिए लोग ज्यादा मर रहे हैं. मोबाइल टावर के पास मैंने खुद कई मरे हुए पक्षी देखे हैं. लोग टावर से निकलने वाले रेडिएशन का शिकार हो रहे हैं और डरे हुए हैं.’ उत्तर प्रदेश के परम नगर गांव में रहने वाले कल्लू बताते हैं कि उन्हें तो पूरा यकीन है कि देहात के लाखों में बड़े पैमाने पर हो रही मौतों के पीछे 5G इंटरनेट की टेस्टिंग से निकला रेडिएशन जिम्मेदार है.

5G इंटरनेट सेहत के लिए कितना खतरनाक?

इंटरनेट सर्फिंग को 100 गुना तेज करने के लिए 5G इंटरनेट की टेस्टिंग चल रही है. लेकिन अहम प्रश्न यह है कि इससे सेहत को कितना नुकसान होगा? पांचवी पीढ़ी के इंटरनेट के लिए एक एंटीना मौजूदा टावरों पर लगाया जा रहा है. लेकिन इन टावरों के पास रहने वाले लोगों के लिए यह खतरे का सिग्नल है. क्योंकि इन एंटीनो से निकलने वाले विकिरण को टावरों के पास रहने वाले लोगों को झेलना होगा.

विदेशों में जहां-जहां 5G इंटरनेट की शुरुआत हुई है वहां रहने वाले लोगों ने इसका विरोध किया है लोगों का कहना है कि इससे कैंसर होता है और शरीर को इन एंटीनो से निकलने वाले रेडिएशन नुकसान पहुंचाता है. भारत में भी कोरोना वायरस के संक्रमण से मर रहे लोगों को देखकर कई लोगों को इस बात का अंदेशा है किस संक्रमण के साथ 5G इंटरनेट की टेस्टिंग से पैदा हुए रेडिएशन की वजह से भी मौतें हो रही हैं.

लोगों की सेहत बर्बाद कर देगा 5G इंटरनेट

5G का अपडेटेड मोबाइल नेटवर्क ग्राहकों को ज्यादा तेज डाटा ट्रांसफर की सुविधा देगा. दुनिया भर की मोबाइल नेटवर्क डाटा कंपनियां इसको लेकर बहुत खुश हैं लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले डॉक्टर चिंतित हैं. स्विट्जरलैंड के डॉक्टरों ने इसको लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की है उन्होंने कहा है कि 5G इंटरनेट लोगों की सेहत को पूरी तरह से बर्बाद करने की क्षमता रखता है.

फिलहाल 2G, 3G और 4G के मोबाइल नेटवर्क 790 मेगाहर्ट्ज से 2.6 गीगाहर्टज की लिमिट में ट्रांसमिशन करते हैं. लेकिन 5जी भविष्य में ज्यादा ट्रांसमिशन कर सके इसलिए जल्द ही बड़ी फ्रीक्वेंसी पर ट्रांसमिशन का इरादा है. इसको 3.5 गीगाहर्टज तक पहुंचाने की कवायद चल रही है. कोशिश तो यह है कि इसे 6 से 100 गीगाहर्टज तक पहुंचाया जाए.

लेकिन 6 गीगाहर्टज के ऊपर तरंगों की लंबाई बहुत कम हो जाती है. इसलिए उनका ट्रांसमिशन कमजोर हो जाता है. और इमारतें और पेड़ उन्हें रोकने लगते हैं. यही कारण है कि एंटीना का रेडिएशन बढ़ाने की जरूरत होती है. मोबाइल रेडिएशन एक्सपर्ट मानते हैं की एंटीना के बढ़े हुए रेडिएशन से लोगों में असुरक्षा की भावना तो है लेकिन यह रेडिएशन लोगों की सेहत के लिए कितना खतरनाक है इसके कोई ठोस प्रमाण उनके पास नहीं है.

भारत में 5G इंटरनेट को लेकर असुरक्षा की भावना

भारत के ग्रामीण इलाकों में यह बात बहुत तेजी के साथ फैल रही है कि 5G इंटरनेट के लिए हो रही टेस्टिंग की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों की मौतें हो रही हैं. लोक तर्क दे रहे हैं कि जब 2G और 3G की टेस्टिंग हुई थी उस वक्त भी प्रकृति पर काफी असर पड़ा था. लोगों का मानना है कि 5जी इंटरनेट के स्टिंग से निकला रेडिएशन कोरोना से ज्यादा खतरनाक है. लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर वक्त रहते इसे रोका नहीं गया तो हालात बेकाबू हो जाएंगे और हजारों की तादात में लोग मारे जाएंगे.

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