कुदरत का कहर उत्तराखंड में आया लेकिन कोहराम यूपी में क्यों मचा है?
उत्तराखंड में जोशीमठ के पास आए सैलाब के बाद अब तक 26 शव बरामद किए जा चुके हैं. लापता व्यक्तियों की तलाश के लिए एक साथ सभी प्रयास किए जा रहे हैं. नेपाल की सीमा से लगे यूपी के लखीमपुर ज़िले की निघासन तहसील के कई गाँवों के दर्जनों लोग उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के बाद से ही लापता हैं और गांव में कोहराम मचा है.
चमोली ज़िले के तपोवन जलविद्युत परियोजना में काम करने वाले ज्यादातर मजदूर लापता है और घटना के बाद से ही इन गाँवों में हाहाकार मचा हुआ है. निघासन तहसील के इच्छानगर गाँव में सबसे ज़्यादा 15 लोग लापता हैं. मंगलवार को इसी गाँव के एक युवक अवधेश शाह की मौत की ख़बर आई तो लापता लोगों के सुरक्षित मिल पाने की उम्मीद जैसे धूमिल होने लगी. निघासन तहसील के इच्छा नगर गांव में कुछ परिवार तो ऐसे हैं जिनके आधा दर्जन से ज्यादा लोग तपोवन जल विद्युत परियोजना में मजदूरी कर रहे थे. रोटी रोजगार की तलाश में पहाड़ गए यह मजदूर शायद अब वापस कभी ना लौटें. यही बात गांव के लोगों को बेचैन कर रही है.
गांव के लोग बता रहे हैं कि पहले यह मजदूर चमोली की जगह कानपुर जाकर काम करने वाले थे लेकिन बाद में ठेकेदार के कहने पर यह लोग तपोवन जल विद्युत परियोजना में काम करने के लिए चमोली चले गए. उत्तराखंड में रविवार को हुए हादसे के बाद से लखीमपुर ज़िले की निघासन तहसील के कुछ गांवों के 34 लोग अब तक लापता बताए जा रहे हैं. हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि यह संख्या इससे भी ज़्यादा है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने अभी 34 की ही पुष्टि की है. लखीमपुर के ज़िलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि निघासन के एसडीएम को जोशीमठ भेजा जा चुका है ताकि वो यहां के लोगों की मदद कर सकें.
डीएम ने बताया कि ड्यूटी पर लगाए गए अधिकारी प्रभावित और लापता व्यक्तियों के परिजनों से उनके घर जाकर व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर रहे हैं और उत्तराखंड राज्य से पीड़ित व्यक्तियों के संबंध में जो भी सूचना मिल रही है, उससे उनके परिजनों को अवगत कराया जा रहा है. निघासन तहसील के भैरमपुर, बाबूपुरवा, मांझा और कड़िया गांवों के 33 लोगों का अभी भी कुछ पता नहीं है. परिजनों को आशंका है कि ये लोग भी कहीं हादसे का शिकार न हो गए हों.
निघासन तहसील क्षेत्र में भारत नेपाल सीमा पर स्थित बाबूपुरवा, भैरमपुर, मांझा और कड़िया गाँवों के तमाम लोग बाहर मज़दूरी करते हैं. इनमें से कई चमोली स्थित पनबिजली परियोजना में भी काम करने के लिए गए हैं. रविवार को हादसे की सूचना मिलने के बाद लोग दहशत में आ गए. ख़ासकर तब, जबकि वहां काम कर रहे कई लोगों के मोबाइल फ़ोन पर संपर्क नहीं हो पाया.
इन सभी गांवों में मातम छाया हुआ है. लापता हुए लोगों के घरों में तीन दिन से चूल्हा तक नहीं जला है और लोग रात-दिन अपने परिजनों की सलामती की प्रार्थना कर रहे हैं. लखीमपुर के ज़िलाधिकारी के दफ़्तर में एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है जहां हर वक़्त अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है.
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