म्यांमार में लोकतंत्र को बचाने के लिए लोगों ने उठाया बड़ा कदम
लोकतंत्र कितनी नाजुक चीज होती है इसका अंदाजा आप म्यांमार के तख्तापलट से लगा सकते हैं. म्यांमार में चुनी गई नेता आंग सान सू के तख्तापलट के बाद सत्ता पर सेना का कब्जा हो गया और अब पूरा देश आंदोलन के आगोश में समा गया है.
म्यांमार में 1 फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के विरोध और देश की प्रमुख नेता आंग सान सू ची को जल्द से जल्द रिहा करने के समर्थन में हजारों लोगों ने 7 फरवरी को देशभर में जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन के दौरान नारे लगाते हुए कहा, “हम सैन्य तानाशाही नहीं चाहते हैं. हम लोकतंत्र चाहते हैं.” सोमवार को पूरे म्यांमार में मज़दूर देशव्यापी हड़ताल पर चले गए हैं. म्यांमार में चुनी गई नेता आंग सान सू ची की रिहाई और देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए तीसरे दिन भी विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है. सोमवार को विरोध-प्रदर्शनों में भाग ले रहे हज़ारों लोग यंगून और मांडले शहर में इकट्ठा हो गए. दूसरी ओर, विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए म्यांमार की राजधानी नेपीडव में प्रशासन ने पानी की बौछार करने वाली गाड़ियों को तैनात कर दिया गया है.
म्यांमार में तख्तापलट का विरोध
तख्तापलट करने वाले सैन्य अधिकारियों ने इन विरोध प्रदर्शनों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2007 के बाद म्यांमार में यह अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है. चंद दिन पहले ही म्यांमार में सेना ने तख्तापलट कर दिया है. सेना ने तख्तापलट के पीछे वजह बताई है कि पिछले चुनाव फर्जी थे, हालांकि, सेना ने इसका कोई सबूत नहीं दिया है. इसके साथ ही सेना ने एक साल के लिए म्यांमार में आपातकाल लगा दिया है. सेना ने सत्ता कमांडर-इन-चीफ़ मिन ऑन्ग ह्लाइंग को सौंप दी है. दूसरी ओर, आंग सान सू ची और उनकी पार्टी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के वरिष्ठ नेताओं और राष्ट्रपति विन मिन को उनके घरों में ही नज़रबंद कर दिया गया है.
तख्तापलट के खिलाफ गुस्से में म्यांमार के लोग
सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार ने 6 फरवरी को माइक्रो ब्लॉगिंग मंच ट्विटर और इंस्टाग्राम पर रोक लगा दी. इससे पहले सेना ने फेसबुक पर चार दिनों के लिए रोक लगाई थी. तख्तापलट करने वाली सेना को आशंका है कि फेसबुक के जरिए राजनीतिक पार्टियां और नागरिक अधिकार संगठन बड़े प्रदर्शन आयोजित कर सकते हैं. म्यांमार में सेना के तख्तापलट के बाद धीरे-धीरे लोगों का गुस्सा फूट रहा है. साल 2007 के बाद देश सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन का गवाह बन रहा है. लोग आंग सान सू ची की रिहाई के लिए प्रदर्शन और आपातकाल के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेने और काम पर न जाने के लिए लोगों से ऑनलाइन भी अपील की जा रही है.
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