असम विधानसभा चुनाव: बीजेपी और कांग्रेस के लिए सिरदर्द बनेगी क्षेत्रीय पार्टियां
असम विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस अपनी अपनी पार्टी को जिताने के लिए जोर शोर से प्रचार प्रसार कर रहे हैं. लेकिन इन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हो रही हैं यहां की क्षेत्रीय पार्टियां.
असम पूर्वोत्तर का बेहद अहम राज्य है और यहां होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी दोबारा से सत्ता पर काबिज होने के लिए जोर शोर से लगी हुई है. लेकिन असम में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की क्षेत्रीय पार्टियां खुद को मजबूत कर रही हैं और नए गठबंधन बना रही हैं. उनका मकसद बहुपक्षीय संघर्ष और पारंपरिक द्विध्रुवी राजनीति की संभावनाओं को कम करना है. बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों ने चुनाव से पहले अपने अपने धड़े तैयार कर लिए हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी असम गण परिषद के साथ अपना गठबंधन जारी रखने और वर्तमान सहयोगी बोडो पीपुल्स फ्रंट को छोड़ने के बाद नए सहयोगी यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के साथ गठबंधन कर के मैदान में है और कांग्रेस ने तीन वामपंथी दलों- सीपीआई-एम, सीपीआई, सीपीआई-एमएलएल के साथ-साथ ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ मिलकर एक ‘महागठबंधन’ बनाया है.
असम के क्षेत्रीय दलों की अलग रणनीति
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी की विधानसभा चुनावों के साथ होने वाले असम चुनाव में 126 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से 100 सीटें जीतने का दावा कर रही हैं लेकिन असम जातीय परिषद (एजेपी) और रायजोर दल (आरडी) आगामी चुनाव एक साथ लड़ेंगे. और यही राष्ट्रीय पार्टियों के लिए चुनौती है ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व नेता लुरिनज्योति गोगोई भी एजेपी में शामिल हो गए हैं. उन्होंने जेल में बंद नेता व रायजोर दल के सुप्रीमो अखिल गोगोई के साथ गुरुवार को तीन घंटे की मुलाकात के बाद गठबंधन की घोषणा की. लुरिनज्योति गोगोई ने गुरुवार को यह भी कहा कि उनकी पार्टी कार्बी आंगलोंग से स्वायत्त राज्य मांग समिति और बीपीएफ के संपर्क में है. दोनों का मध्य-पश्चिमी असम में स्थानीय लोगों के बीच पर्याप्त जनाधार है. उन्होंने कहा,
“हमारी क्षेत्रीय पार्टी गठबंधन सभी 126 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगी.” एजेपी और आरडी नेताओं ने अब तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने के प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है.
बीजेपी गठबंधन के लिए चुनौती बनी क्षेत्रीय पार्टियां
बीजेपी असम में अपने आत्मविश्वास को दिखाते हुए यह कह रही है कि राज्य में हुआ क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन उनके लिए कोई सिर दर्द नहीं है लेकिन हकीकत को नकारा नहीं जा सकता. सत्ताधारी बीजेपी दो क्षेत्रीय दलों के गठबंधन से समान रूप से सावधान हैं, जो पूर्वी असम में 45 सीटों पर उसके प्रदर्शन पर असर डाल सकती है. बीजेपी ने 2016 में पिछले विधानसभा चुनावों में असम में कांग्रेस से सत्ता हासिल की और 60 विधायकों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गई, जबकि विधानसभा में उसके सहयोगी दल- असम गण परिषद और बोडो पीपुल्स फ्रंट के क्रमश: 14 और 12 सदस्य हैं. कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने 2016 में अलग-अलग चुनाव लड़ा था और क्रमश: 26 और 13 सीटें हासिल की थीं. सीटों का आंकड़ा इस बात का स्पष्ट संकेत देता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में असम की जनता अगर क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन को तरजीह देती है राष्ट्रीय पार्टियों के लिए डगर मुश्किल होगी.
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