बजट 2021: निर्मला सीतारमण के पिटारे से किसानों के लिए क्या निकला?

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2021-22 का आम बजट पेश कर दिया है. इस बार लोगों को बजट से जो उम्मीदें थी वह कितनी पूरी हुई हैं यह समझने के लिए आपको बजट के सभी बिंदुओं पर गौर करना होगा. किसान आंदोलन की वजह से सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हुई थी कि वित्त मंत्री बजट में किसानों को क्या देंगी?

कोरोना के समय में एग्रीकल्चर ही एकमात्र ऐसा सेक्टर था जहां ग्रोथ रेट ठीक-ठाक थी. लेकिन कोरोना के बाद यही सेक्टर है जिस से जुड़े हुए लोग आंदोलन करने को मजबूर हैं. इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एग्रीकल्चर सेक्टर में काम करने वाले लोगों को बड़ी उम्मीद थीं. तो क्या किसानों और एग्रीकल्चर सेक्टर में काम करने वाले लोगों की उम्मीदें पूरी हुई? यह जाने के लिए हमें वित्त मंत्री के भाषण का वह हिस्सा समझना होगा जिसमें वह किसानों की आय दोगुनी करने के मोदी सरकार के लक्ष्य का जिक्र करती हैं.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने पर कायम है. धान की ख़रीद पर 2013-14 में 63 हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए गए थे जिसे बढ़ाकर 1 लाख 45 हज़ार करोड़ किया जा चुका है. इस वर्ष ये आंकड़ा 72 हज़ार करोड़ तक पहुंच सकता है. 1.2 करोड़ किसानों को इससे बीते वर्ष लाभ हुआ था, इस वर्ष इससे 1.5 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं.’ वित्त मंत्री जिस वक्त यह भाषण दे रही थी ठीक उसी वक्त राजधानी दिल्ली को चारों तरफ से हजारों किसान घेरे हुए हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान यह दोहराया कि उनकी सरकार किसानों की तरक्की के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘गेहूं पर सरकार ने 33 हज़ार करोड़ रुपये 2013-14 में खर्च किए गए थे. 2019 में 63 हज़ार करोड़ रुपये और अब यह 75 हज़ार करोड़ रुपये हो गई है. 2020-21 में 43 लाख किसानों को इसका लाभ मिला है.’ अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री बार-बार इस बात पर जोर देती हुई नजर आई कि किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार बेहद गंभीरता से काम कर रही है. वित्त मंत्री और सरकार की गंभीरता को किसान किस तरह से देखते हैं इस पर हम आगे बात करेंगे लेकिन उससे पहले आपको बजट की कुछ और अहम बातें बता देते हैं.

आंदोलनकारी किसान जिन बातों को लेकर सबसे ज़्यादा चिंतिंत हैं, उनमें एमएसपी का मुद्दा प्रमुख है. लेकिन आम बजट के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है और एमएसपी बढ़ाकर उत्पादन लागत का 1.5 गुना किया गया है. वित्त मंत्री ने बताया कि 2021-22 में कृषि ऋण लक्ष्य को 16.5 लाख करोड़ रुपये तक किया जा रहा है. उन्होंने जानकारी दी है कि अब स्वामित्व योजना को देशभर में लागू किया जाएगा. इसके साथ ही ऑपरेशन ग्रीन स्कीम का ऐलान किया गया है, जिसमें कई फसलों को शामिल किया जाएगा.

बजट-2021 में निर्मला सीतारमण के कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव

  1. इलेक्ट्रॉनिक, मोबाइल इंडस्ट्री देश के भीतर बहुत तेज़ी से बढ़ा है. कुछ छूट समाप्त की जा रही है. इसके कुछ पुर्जों को कर के दायरे में लाया जाएगा.
  2. लोहा और इस्पात की कीमतों में वृद्धि से कई क्षेत्रों को कठिनाई हुई है. इसमें लगने वाली कई ड्यूटी में रियायत की घोषणा करती हूं. कुछ इस्पात और एडीडी और सीबीडी पर रियायतों को समाप्त किया जा रहा है.
  3. कपड़े संबंधित प्रस्तावः नायलॉन चिप, नायलॉन फाइबर पर बीसीडी को घटाकर 5 फ़ीसद किया जा रहा है. इसमें केमिकल्स से जुड़ी व्यवस्था को भी सुधारा जा रहा है.
  4. गोल्ड और सिल्वरः देश में सोने और चांदी की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है. सरकार इसकी ड्यूटी में कमी लाने जा रही है.
  5. ऑटो पार्ट में कैपिटल इक्युप्मेंटः टनल बोरिंग मशीन पर छूट को समाप्त किया जा रहा है. एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं.

वित्तमंत्री के बजट भाषण के बाद शेयर बाजार में 1420 अंकों का उछाल देखा गया लेकिन किसानों की उम्मीदें और आकांक्षाएं गोता लगा गई. बजट भाषण पर उत्तर प्रदेश के कई किसानों से हमने बात की और लगभग सभी किसानों ने एक से जवाब दिया. फिरोजाबाद के रहने वाले किसान लक्ष्मण प्रसाद कहते हैं, ‘हमारी तो उम्र हो गई ऐसे भाषण सुनते सुनते ना तो किसानों की आय बढ़ी है और ना बढ़ेगी. यह सरकार हर बार बजट भाषण में हम लोगों को बेवकूफ बनाती है’ लक्ष्मण प्रसाद कहते हैं, ‘अगर सरकार सही मायनों में किसानों का विकास करना चाहती है. उनकी आय बढ़ाना चाहती है तो एमएसपी का कानूनी अधिकार किसानों को देना चाहिए’

लक्ष्मण प्रसाद ने भी वही बात दोहराई जिसको लेकर हजारों किसान पिछले डेढ़ महीनों से आंदोलन कर रहे हैं. बजट पर उन्नाव के राजेश प्रधान कहते हैं, ‘साहब यह सरकार की झूठी बातें हैं सच्चाई यह है कि किसान परेशान है और उसके सुनने वाला कोई नहीं’ राजेश प्रधान छोटे किसान हैं उनके पास 10 बीघा जमीन है लेकिन उनकी शिकायत यह है जून की फसल सही दामों पर नहीं बिक पाती’ राजेश कहते हैं कि ‘हर साल सरकार किसानों के हाथ में झुनझुना थमा कर चली जाती है इस बार भी वही हुआ. इस बार एक बार फिर से सरकार ने आय दोगुनी करने का झुनझुना किसानों को थमा दिया है हम अब पूरी साल यही झुनझुना बजाएंगे.’

राजेश और लक्ष्मण प्रसाद जैसे हजारों किसान हैं जो फसल का सही दाम न मिल पाने की वजह से सरकार को कोसते रहते हैं. किसानों का कहना है कि सरकार अगर उनकी आय दोगुनी करना चाहती है तो उसको एमएसपी का कानूनी अधिकार देना चाहिए और किसानों के बारे में गंभीरता से काम करना चाहिए.

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