फेसबुक, टि्वटर और गूगल खत्म हो जाएगा अगर ये हो गया तो…

0

यकीनन आपको जोर का झटका लगा होगा यह जानकर कि भविष्य में फेसबुक, ट्विटर और गूगल खत्म भी हो सकता है. इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंटरनेट की निरंकुश ताकतों पर लगाम लगाने की तैयारी होने लगी है. और इस पर लगाम लगाने का काम करेगी सेक्शन 230.

सोशल मीडिया का आज जो विशाल स्वरूप दुनिया में नजर आता है उसके पीछे अमेरिका के एक कानून की बड़ी भूमिका है. अब उसी कानून को हटाने की मांग हो रही है. जीहां धारा 230 को हटाने की मांग जोर पकड़ रही है. इसकी बड़ी वजह है इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की बढ़ती ताकत. अमेरिका में फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसी कंपनियों के पर कतरने की तैयारी शुरू हो चुकी है. अभी बुधवार को ही फेसबुक, ट्विटर और गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमेरिकी सीनेट की कॉमर्स कमेटी के सामने पेश हए. सांसदों के सामने इनकी पेशी पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने के आरोपों में हुई. एक तरफ रिपब्लिकन पार्टी इन पर रुढ़िवाद विरोधी होने का आरोप लगा रही है, तो दूसरी तरफ डेमोक्रैटिक पार्टी उनसे फेक न्यूज और नफरत फैलाने वाले संदेशों को नहीं रोक पाने पर नाराज है.

सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियां इन आरोपों से इनकार कर रही हैं. हालांकि दोनों पार्टियों के सांसदों के पास इन्हें कठघरे में खड़ा करने के लिए उदाहरणों और दलीलों की कमी नहीं है. ऑनलाइन स्पीच के मामले में दोनों अमेरिकी दल इन कंपनियों को मिली कानूनी सुरक्षा को चुनौती देना चाहते हैं. और अगर ऐसा होता है तो सेक्शन 230 खतरे में पड़ जाएगा. सूरत में इन कंपनियों का अस्तित्व भी खत्म हो सकता है. क्योंकि सेक्शन 230 ही है जो फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियों को ताकतवर बनाता है.

सेक्शन 230 क्या है और इसके क्या मायने हैं?

सरल और सीधे शब्दों में कहें तो सेक्शन 230 सोशल मीडिया प्लेटफार्म को यह ताकत देता है कि अगर उस पर कोई भी आपत्तिजनक कॉन्टेंट शेयर किया जाता है तो उसके लिए कंपनी जिम्मेदार नहीं होगी और कानूनी कार्रवाई कांटेक्ट शेयर करने वालों के खिलाफ होगी ना कि कंपनी के खिलाफ. अब अमेरिका में सेक्शन 230 को लेकर बहस तेज हो गई है. अब सोशल मीडिया की बड़ी कंपनियों का आधार ही यूजर का बनाया कंटेंट है. अगर उन्हें उसके लिए दोषी ठहाराया जाने लगा, तो वे उसे अपने प्लेटफॉर्म पर डालना बंद कर देंगे और नतीजा ऐसी कंपनियों के अस्तित्व पर संकट के रूप में सामने आएगा. 

डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ही इस बात के पक्षधर हैं कि फेसबुक, टि्वटर और गूगल जैसी कंपनियों को जो कानूनी ताकतें दी गई है उस पर दोबारा से विचार किया जाए. ट्रंप प्रशासन चाहता है कि संसद इन कंपनियों को मिलने वाली कानूनी सुरक्षा वापस ले ले. वास्तव में 1996 में अमेरिका के दूरसंचार से जुड़े कानून में जोड़े गए 26 शब्दों ने फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसी कंपनियों को आज इस रूप में उभरने का मौका दिया. यही कानून इंटरनेट पर किसी भी तरह के भेदभाव या सेंसरशिप से मुक्त भाषण या संदेशों का आधार है.

‘सेक्शन 230’ हटाने की मुहिम तेज

राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने इन्हें कार्यकारी आदेश के जरिए सीधे चुनौती दी है. इनमें से एक आदेश ऑनलाइन प्लेटफार्मों “संपादकीय फैसलों” पर मिलने वाला संरक्षण उनसे छीन लेगा. दोनों अमेरिकी पार्टियों में ऐसे लोग हैं जो मानते हैं कि सेक्शन 230 सोशल मीडिया कंपनियों को निष्पक्ष रह कर नियंत्रित करने की जिम्मेदारी से मुक्त कर रही है. बुधवार को ट्रंप ने ट्वीट किया, “सेक्शन 230 को हटाओ!” अब आप सोच रहे होंगे सेक्शन 230 हटने से क्या होगा? तो जनाब अगर ऐसा होता है तो आपका चहेता फेसबुक और ट्विटर बंद हो जाएगा. और गूगल के भी अस्तित्व पर संकट खड़ा हो जाएगा. दरअसल सेक्शन 230 कहता है कि आप पोस्ट डालने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं, फेसबुक के खिलाफ नहीं.

सोशल मीडिया कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि इस सुरक्षा ने ही इंटरनेट को आज इस हाल में पहुंचाया है. सोशल मीडिया कंपनियां करोड़ों लोगों के संदेश अपने प्लेटफॉर्म पर रख सकती हैं और इसके लिए उन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती. और अगर यह सेक्शन खत्म होता है तो कंपनियों पर कार्यवाही की जा सकती है. कॉमर्स कमेटी के चेयरमैन सेनेटर रोजर विकर ने पेशी की शुरुआत में कहा कि ऑनलाइन स्पीच को नियंत्रित करने वाले कानूनों को संशोधित किया जाए क्योंकि,”इंटरनेट का खुलापन और आजादी खतरे में है.” 

जानकार कहते हैं कि बिना सेक्शन 230 के फेसबुक, टि्वटर और गूगल में से किसी भी कंपनी का अस्तित्व आज के रूप में नहीं होता. इनका बिजनेस मॉडल ही यूजर कंटेंट के बड़े प्लेटफॉर्म के रूप में बनाया है. और अगर सेक्शन 230 हटा तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बहुत सजग हो जाएंगे. जैसा कि क्रेगलिस्ट के मामले में हुआ था. 2018 में सेक्स तस्करी के कानून में सेक्शन 230 का एक अपवाद जोड़ा गया. ऐसी सामग्री जो “देह व्यापार को सुलभ बनाती हो या उसका प्रचार करती हो.” इस कानून के पास होने के बाद अमेरिका की विख्यात क्लासिफाइड विज्ञापन एजेंसी क्रेगलिस्ट ने फौरन “निजी” सेक्शन को पूरी तरह से हटा दिया. हालांकि यह देह व्यापार के लिए नहीं बना था लेकिन कंपनी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी.

यह भी पढ़ें:

अपनी राय हमें [email protected] के जरिये भेजें. फेसबुक और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *