वायु प्रदूषण के मामले में भारत से कहीं ज्यादा बेहतर हैं बांग्लादेश और पाकिस्तान

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सर्दियों का मौसम शुरू होते ही वायु प्रदूषण का मुद्दा गर्म हो जाता है. राजधानी दिल्ली समेत देश के ज्यादातर बड़े शहरों में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. इसकी वजह से हजारों लोग अपनी जिंदगी गंवा रहे हैं. लेकिन भारत में इसकी हालत पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी ज्यादा बत्तर है ऐसा क्यों?

भारत की हवा में साल 2019 में पीएम 2.5 की मात्रा का वार्षिक औसत दुनियाभर में सबसे अधिक दर्ज किया गया है. स्टेट ऑफ़ ग्लोबल एयर 2020 (सोगा 2020) की ओर से बुधवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. इसके चलते राजधानी और अन्य शहरों में श्वसन संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं.

भारत में बढ़ते प्रदूषण और पीएम 2.5 के ऐसे आंकड़े 2010 से सामने आ रहे हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की साल 2019 की रिपोर्ट इशारा करती है कि देश में पीएम 2.5 के बढ़ने का ट्रेंड बीते तीन सालों में काफ़ी देखा गया, इसकी वजह सड़क पर वाहनों की संख्या बढ़ना और धूल है.

हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक़, रिपोर्ट बताती है कि भारत के बाद इस लिस्ट में नेपाल, नीजेर, क़तर और नाइजीरिया हैं जहां पीएम 2.5 का स्तर बढ़ा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक़, 20 सबसे चर्चित देशों की लिस्ट में 14 देश ऐसे हैं जहां हवा की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार दिखा लेकिन भारत, बांग्लादेश, नीजेर, पाकिस्तान और जापान वो देश हैं जहां प्रदूषण में बढ़त देखने को मिली है.

वायु प्रदूषण के कारण नवजात बच्चों की मौत

2019 में भारत और उप-सहारा अफ्रीका में पैदा हुए लाखों नवजात शिशुओं में से ज्यादातर की मृत्यु प्रदूषण के कारण हुई. खाना पकाने वाले ईंधन से निकले धुएं को अधिकतर मौत का कारण बताया गया है. शोध में कहा गया है कि 2019 में करीब 4,76,000 नवजात शिशुओं की मौत वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव के कारण हुई. 

ग्लोबल एयर स्टडी के मुताबिक दो तिहाई मौत का कारण खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खराब गुणवत्ता वाले ईंधन के जलाने से हुई. शोध के मुताबिक करीब 2,36,000 शिशुओं की मौत उप-सहारा क्षेत्र में वायु प्रदूषण के कारणों से हुई और 1,16,000 से अधिक शिशुओं की मौत भारत में हुई. शोध कहता है कि पाकिस्तान में वायु प्रदूषण के कारण 50,000 नवजात शिशुओं की मौत हुई.

शोध के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण 2019 में विश्वभर में 67 लाख लोगों की मौत हुई. उच्च रक्तचाप, तंबाकू का सेवन और खराब आहार के बाद समय से पहले मौत का चौथा प्रमुख कारण वायु प्रदूषण है. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर स्टडी के लेखकों का कहना है कि इंसान की सेहत पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बावजूद दुनिया के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत कम या ना के बराबर प्रगति हुई है. 

शोध के मुताबिक भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल समेत दक्षिण एशियाई देश साल 2019 में पीएम 2.5 के उच्चतम स्तर के मामले में शीर्ष 10 में रहे हैं. वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से न केवल स्थायी स्वास्थ्य की स्थिति पैदा हो सकती है, बल्कि मौजूदा महामारी के बीच लोगों को कोविड-19 के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है.

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