उत्तर प्रदेश का किसान अन्ना गोवंश से तंग आकर खून के आंसू बहाने को मजबूर है भले ही सरकार के कागजों में योजनाबद्ध तरीके से सभी गांव में गौ संरक्षण केंद्र तैयार किए गए हों लेकिन जमीनी स्तर पर यह केंद्र निराधार साबित हो रहे हैं।
दरअसल, मामला उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र का है जहां के किसान लगातार कई वर्षों से अन्ना पशुओं की समस्या से गुजर रहे जिस को देखते हुए मौजूदा सरकार ने एक ड्रीम प्रोजेक्ट के माध्यम से सभी गांव में गौश्रय केंद्र तो स्थापित कर दिए लेकिन मौजूदा सरकार का यह सपना साकार नहीं हो सका जिसके चलते किसानों की समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई है. अगर बात करें अन्ना पशुओं की तो उनकी भी संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है.
फेल हो रहा सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट
यानी अन्ना पशुओं के मौत का सिलसिला भी लगातार जारी अगर 1 या 2 वर्ष तक इसी प्रकार से यह सिलसिला चलता रहा तो इस महत्वाकांक्षी योजना के साथ-साथ अन्ना गौवंश के भी समाप्त होने की संभावना नजर आ रही है.
खुले में घूम रहे हजारों की तादाद में अन्ना गौवंश हजारों एकड़ खेतों की फसल चट कर चुके हैं जिससे किसानों के भरण-पोषण के साथ-साथ उनके बच्चों की शिक्षा भी बाधित हो रही है यानी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट विफल होता नजर आ रहा है.
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रिपोर्ट: कुलदीप धुरिया, हमीरपुर
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