श्रम सुधार कानून : ‘गरीबों का शोषण, मित्रों का पोषण’

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मोदी सरकार ने आनन-फानन में पार्लियामेंट के भीतर विपक्ष के बिना और बिना किसी बहस के करीब 25 बिलों को पारित करा लिया. इनमें से तीन बिल लेबर रिफॉर्म से जुड़े हुए हैं. जिनका नौकरीपेशा वाले लोगों पर खासा प्रभाव पड़ेगा.

सरकार का दावा है कि लेबर बिल श्रम क्षेत्र में बड़े सुधार लाएंगे. इनमें ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020 और सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020 शामिल हैं. अगर आप कर्मचारी हैं तो आपको इसके बारे में जानना जरूरी है. क्योंकि सरकार कह रही है कि नए श्रम कानून से देश के संगठित व असंगठित दोनों ही प्रकार के श्रमिकों को कई प्रकार की नई सुविधाएं मिलेंगी. इनमें वर्कर्स के लिए पेंशन और मेडिकल बेनिफिट शामिल हैं. लेकिन दूसरी ओर अब कंपनियों को पहले ज्यादा अधिकार मिलेंगे.

कंपनियों को क्या फायदा होगा?

  • कर्मचारियों को नौकरी देना या निकालना उनके लिए अब आसान होगा.
  • सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा.
  • उनके वेतन का डिजिटल भुगतान करना होगा.
  • साल में एक बार सभी श्रमिकों का हेल्थ चेकअप भी अनिवार्य किया गया है.

वहीं, उद्यमियों के कारोबार को आसान बनाने के लिए कई प्रावधान लाए गए हैं. तो चलिए एक-एक करके आपको बताते हैं कि सरकार ने जो विधेयक राज्यसभा में पास कराया उसका सबसे ज्यादा फायदा किससे होगा?

सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020

सोशल सिक्योरिटी कोड एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के निर्माण का प्रस्ताव करती है जो असंगठित श्रमिकों, गि​ग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए उपयुक्त योजना तैयार करने की जिम्मेदारी लेगा. यह श्रमिकों के इन वर्गों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में भी लाता है जिसमें जीवन और विकलांगता बीमा, भविष्य निधि, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ और कौशल उन्नयन शामिल हैं. इस कोड में श्रमिकों के तीन वर्गों को सामाजिक सुरक्षा रकम प्रदान करने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष के गठन का भी प्रस्ताव है.

ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020

ये बिल कंपनियों को छूट देगा कि वे अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी दे सकें. साथ ही कॉन्ट्रैक्ट को कितनी भी बार और कितने भी समय के लिए बढ़ाया जा सकेगा. इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है. वो प्रावधान भी अब हटा दिया गया है, जिसके तहत किसी भी मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक थी. महिलाओं के लिए वर्किंग आवर (काम के घंटे) सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ही रहेगा. शाम 7 बजे शाम के बाद अगर काम कराया जा रहा है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी. कोई भी कर्मचारी एक हफ्ते में 6 दिन से ज्यादा काम नहीं कर सकता. ओवरटाइम पर ज्यादा पेमेंट करना होगा. बिना अप्वॉइंटमेंट लेटर के किसी की भर्ती नहीं होगी.

इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020

इस विधेयक में कंपनी का अधिकार बढ़ेगा. जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम है, वे सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी कर सकेंगी. अब तक ऐसा वे कंपनियां कर सकती थीं, जिनमें 100 से कम कर्मचारी हों. अब नए बिल में इस सीमा को बढ़ाया गया है. छंटनी की इजाजत उन्हीं को दी जाएगी, जिनके कर्मचारियों की संख्या पिछले 12 महीने में हर रोज़ औसतन 300 से कम ही रही हो. सरकार अधिसूचना जारी कर इस न्यूनतम संख्या को बढ़ा भी सकती है. नए कानून के अनुसार कोई भी कंपनी, फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को सजा देने, निकालने, प्रमोशन में पक्षपात जैसे नियम पूरी तरह से कंपनी के हाथों में आ जाएगें.

हालांकि नए श्रम सुधार कानूनों को लेकर सरकार की आलोचना भी हो रही है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि यह श्रम सुधार कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्योगपति मित्रों के लिए फायदे का सौदा साबित होंगे.

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