केरल ‘गोल्ड स्मगलिंग’ केस: एक महिला जिसने राज्य की राजनीति को हिला कर रख दिया
केरल की राजनीति में इन दिनों एक घोटाले को लेकर उथल-पुथल मची हुई है. मामला राज्य में बड़े पैमाने पर गोल्ड स्मगलिंग का है. घोटाले के तार राज्य के बड़े नेताओं और सरकारी अफसरों तक पहुंचते हैं.
मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के प्रधान सचिव आईएस अधिकारी एम शिवशंकर का घोटाले में नाम आने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री को उन्हें पद से हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा और विपक्ष मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग करने लगा. केरल का गोल्ड स्मगलिंग के सुर्खियों में है और इसके तार राज्य की राजनीति से सीधे जुड़ रहे हैं.
क्या है केरल का गोल्ड स्मगलिंग केस?
- पांच जुलाई को तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कस्टम विभाग के अधिकारियों ने पहले से प्राप्त गुप्त सूचना के आधार पर यूएई से आया एक डिप्लोमेटिक सामान पकड़ा.
- विदेश मंत्रालय से अनुमति लेने के बाद यूएई वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों की मौजूदगी में जब उसे खोला गया तो उसमें घरेलू इस्तेमाल की कई चीजों में भरा हुआ 30 किलो सोना मिला. जिसकी कीमत करीब ₹150000000 आंकी गई.
- वाणिज्य दूतावास का कर्मचारी बता कर उस सामान को लेने आए व्यक्ति सरित कुमार को कस्टम विभाग ने पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया गया. बाद में पता चला कि वो लगभग एक साल पहले तक वाणिज्य दूतावास में बतौर जन संपर्क अधिकारी काम करते था.
- सरित लगभग एक साल से हवाई अड्डे से इस तरह का सामान ले जा रहे थे. सरित ने बाद में विभाग को बताया कि उनकी एक सहयोगी केरल सरकार के आईटी विभाग की एक कर्मचारी है जिसका नाम स्वप्ना सुरेश है.
स्वप्ना सुरेश का पोलिटिकल कनेक्शन
- स्वप्ना का पूरा रिकॉर्ड सामने आने के बाद पता चला कि वो भी पहले यूएई के वाणिज्य दूतावास में एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी के पद पर काम करती थीं. वो भी पहले दुबई में रहती थीं.
- 2013 में उन्हें तिरुवनंतपुरम में हवाई अड्डे पर एक कंपनी में नौकरी मिली. वहां उन्होंने एक वरिष्ठ कर्मचारी के साथ मिलकर हवाई अड्डे के एक कर्मचारी के खिलाफ यौन शोषण की कम से कम 17 फर्जी शिकायतें दर्ज कराईं.
- उस कर्मचारी ने इस बारे में पुलिस से शिकायत की और पूरी साजिश की जांच की मांग की. मामले में सुरेश को बतौर आरोपी नामित किया गया लेकिन बाद में जांच नतीजे तक नहीं पहुंची.
- इसके बाद स्वप्ना सुरेश को यूएई के वाणिज्य दूतावास में नौकरी मिल गई जहां उनका कई बड़ी हस्तियों के साथ उठना बैठना रहा.
- 2019 में किन्हीं कारणों की वजह से उन्हें इस नौकरी से निकाल दिया गया. नौकरी से निकाले जाने और एक पुलिस केस में नामित होने के बावजूद, उन्हें किसी तरह से केरल सरकार के आईटी विभाग के एक उपक्रम में नौकरी मिल गई.
मुख्यमंत्री से कैसे जुड़ा लिंक?
बताया जा रहा है, की सुरेश को जिस विभाग में नौकरी मिली वह विभाग खुद मुख्यमंत्री विजयन संभालते हैं और स्वप्ना की नियुक्ति के समय उनके प्रधान सचिव एम शिवशंकर इस उपक्रम के अध्यक्ष थे. अब विपक्ष इस मामले में राज्य सरकार को घेर रहा है. विपक्ष का कहना है कि शिवशंकर ने बहुराष्ट्रीय कंपनी प्राइसवाटर हाउसकूपर्स के जरिए स्वप्ना के नाम की उस पद पर नियुक्ति के लिए अनुशंसा की थी. उनकी घोषित शैक्षणिक योग्यता के भी फर्जी होने का दावा किया जा रहा है. विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह सुनियोजित साजिश थी और शिवशंकर स्वप्ना से मिले हुए हैं.
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