जिंदगी में हम जो कुछ भी हासिल करते हैं वो कहीं ना कहीं हमारे गुरुओं की मेहनत का फल होता है. गुरु का मतलब सिर्फ शिक्षक नहीं, बल्कि गुरु माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त किसी भी रूप में हो सकते हैं. गुरु का नाम सुनते ही हृदय में एक सम्मान का भाव खुद बखुद जाग उठता है. ऐसे ही एक गुरु अमेठी के विकासखंड दादरा गाँव में हैं जिन्होंने ना जाने कितने शिष्यों की ज़िन्दगी संवार दी है.
अमेठी : मुसाफिरखाना विकासखंड के दादरा गाँव निवासी मोहम्मद असगर पेशे से शिक्षक हैं. असगर पिछले 15 सालों से पढ़ाई के साथ-साथ योग, खेल आदि जैसे क्षेत्रों में बच्चों को आगे बढ़ा चुके हैं. मौजूदा समय में असगर दादरा के उच्च माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हैं.
शिक्षा और सामाजिक कार्यों में सक्रिय
बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ वे सामाजिक कार्य भी करते हैं. उनके पढ़ाए हुए छात्र आज राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी, सेना, पुलिस, बैंक आदि में नौकरी कर रहे हैं. इतना ही नहीं, वे गरीब बच्चों की मदद भी करते हैं. जो बच्चे पैसे के अभाव में पढ़ाई छोड़ देते हैं वे उनको खुद के खर्च पर स्कूलों और कॉलेजों में एडमिशन दिलाते हैं.
बच्चों का भविष्य संवार रहा एक शिक्षक
विकासखंड के दादरा गाँव निवासी जय प्रकाश का 14 वर्षीय पुत्र अमर दोनों पैर से दिव्यांग है. वह कक्षा 8 का छात्र है. उसे मिट्टी के बर्तन बनाने का शौक था, लेकिन एक बेहतर गुरु के मार्गदर्शन और उसकी लगन ने सब को चौंका दिया. खेल प्रतियोगिताओं में उसे एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में पहचान मिली.
विद्यार्थियों के हर आयाम को विकसित करने का संकल्प
दिव्यांग अमर ने समान्य बच्चों के साथ कबड्डी, कुश्ती, गोला फेंक, ऊंची कूद जैसे खेल में हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया. इतना ही नहीं, गाँव के ही 67 वर्षीय अनपढ़ व मंदबुद्धि नन्हेलाल में शिक्षा हासिल करने की ऐसी ललक जगी कि उन्होंने विद्यालय में नामांकन करवा कर साल 2019 में हाईस्कूल की परीक्षा दे डाली और आज भी वे असगर से शिक्षा हासिल करने के लिए विद्यालय जाते हैं और योग भी करते हैं. इन सब में शिक्षक मोहम्मद असगर का अहम योगदान है.
15 सालों से बच्चों का भविष्य तराशने वाला शिल्पकार
मोहम्मद असगर ने बताया कि पिछले 15 सालों से वे बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ सामाजिक कार्य कर रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने बड़ी संख्या में ज़रूरतमंदों की मदद की व लोगों लोग योग सिखाया. उन्होंने बताया कि उन्हें लोगों की मदद कर के सुकून मिलता है. असगर को उनके कार्यों के लिए कई बार प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन से सम्मान भी मिल चुका है.
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रिपोर्ट : कुमैल रिज़वी
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