भारत के खिलाफ चीनी ड्रैगन की एक और नई साजिश
पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी के बाद अब उत्तरी लद्दाख के डेपसांग में फौजों की संख्या बढ़ा रहा है. इस तरह उसने नया मोर्चा खोल दिया है. नतीजतन दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में तैनात भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई.
सरहद पर तनातनी के बीच चीन बाज नहीं आ रहा है. वह पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी के बाद अब उत्तरी लद्दाख के डेपसांग में फौजों की संख्या बढ़ा रहा है. इस क्षेत्र में 2013 में दोनों पक्षों के बीच लंबा तनाव देखा जा चुका है. खबरों के मुताबिक चीन ने अपनी सीमा में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों, तोपों और सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है. जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने भी अपने सबसे भरोसेमंद हथियार को लद्दाख के मोर्चे पर पहुंचा दिया है.
लद्दाख में भारत ने 2016 में टैंकों की पहली ब्रिगेड तैनात की थी. इसमें टी-72 टैंक तैनात किए गए थे. लेकिन चीन की तरफ से टी 95 टैंकों की तैनाती की खबरों के बाद भारतीय सेना ने टी 90 टैंकों को मैदान में उतार दिया है. 1962 की लड़ाई में भी भारतीय सेना ने लद्दाख के मोर्चे पर हल्के एएसएक्स टैंकों को भेजा था.
इन टैंकों ने चुशूल, पेंगांग झील इलाक़े में चीनी सेना का डटकर मुक़ाबला किया था और उसे रोका था. पुराने अनुभव के आधार पर भारतीय सेना जानती है कि पूर्वी लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में अच्छे टैंक लड़ाई का रुख बदल सकते हैं.
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