गांव-देहात के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. सामुदायिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज की क्या व्यवस्था है ये हम सब जानते हैं. इक्का-दुक्का को छोड़कर ज्यादातर अस्पताल बुनियादी सुविधाओं और पर्याप्त मेडिकल स्टाफ के लिए तरस रहे हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के सीमांत जिले बहराइच का सेमरी घटाही स्वास्थ्य केंद्र उससे दो कदम आगे है.
ये वो दौर है जब पूरी दुनिया में स्वास्थ्य सेवाओं की बात हो रही है. दुनिया के लगभग सभी देश अपने देश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे हैं उन्हें सुधार रहे हैं. भारत भी इस दिशा में काम कर रहा है लेकिन विड़बना ये है कि यहां सिस्टम में जंग लग गया है. सिस्टम सड़ चुका है जिसमें से सड़ाद आनी ही बाकी बची है. जैसा ही हम सब जानते हैं कि भारत में तेजी के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है और अब ये वायरस ग्रामीण इलाकों में भी फैल रहा है. मार्च के महीने के मध्य में जब भारत सरकार कोविड-19 को लेकर सख्त हुई थी तब ये बात जोर शोर कही जा रही थी कि इसे किसी भी हालत में भारत देहात वाले इलाकों में पहुंचने से रोकना है. हालांकि ऐसा हो न सका. लाखों प्रवासी मजदूरों को जरिया बनाकर ये वायरस गांव में दस्तक दे चुका है.
तो क्या गांव वायरस से निपटने के लिए तैयार हैं?
ये एक अहम सवाल है और इस जवाब नहीं है. हम ये बात प्रमाण के साथ कह रहे हैं. ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े आकंड़े आपने सैकड़ों बार पढ़ें होंगे. लेकिन जब आप सच्चाई से साक्षात्कार करते हैं तो ये अहसास होता है कि स्वास्थ्य विभाग को चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश के सीमांत जिले बहराइच का सेमरी घटाही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का जीता-जागता सबूत है. इस अस्पताल की इमारत में अच्छा खासा खर्जा किया गया है लेकिन हैरानी होगी आपको ये जानकार कि पूरे परिसर में सिर्फ जानवारों के गोबर की बू आती है. कोरोना के समय में जब ऐसे अस्पतालों को दुरुस्त करने की जरूरत थी तब जिले का स्वास्थ्य विभाग इस अच्छे खासे अस्पताल को तबेला बनाए हुए है.
ग्राम सभा सेमरी घटाही के रहने वाले सोनेलाल मिश्रा बताते हैं कि ‘जहां आदमी को रहना चाहिए, जहां इलाज होना चाहिए वहां गोबर पड़ा हुआ है. इससे ज्यादा बेहतर अस्पताल की व्यवस्था क्या होगी. मैंने सीएमओ साहब से कहा, विधायक बंशीधर जी से गुहार लगाई थी. सरोज सोनकर जी से कहा, अक्षयवर जी सांसद हैं उनसे भी कहा. लेकिन यहां के हालत नहीं बदले. यहां रामभरोसे इलाज होता है. झोलाझाप डाक्टरों के भरोसे हैं साहब. जब ज्यादा बीमार होते हैं तो 50 से 100 किलोमीटर दूर अपने वाहन से लादकर के ले जाते हैं. करीब 11 ग्राम सभाओं में रहने वाली 1 लाख की आबादी इस अस्पताल के भरोसे है’
‘अस्पताल का बद से बदतर हाल है’
सोनेलाल मिश्रा जैसे सैकड़ों लोग हैं जो मंत्रियों की मठाधीशी से सख्त नाखुश हैं. उनका कहना है कि काम धेला भर का नहीं है बातें नौ-नौ गज़ की हांकते हैं हमारे माननीय. आपको बता दें कि सेमरी घटाही के इस अस्पताल में 10 बेड होने चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है. ना ही कोई मेडिकल स्टाफ है, न ही नर्स है और न ही कोई डॉक्टर यहां झांकने आता है. सरकारी कर्मचारी के नाम पर बस एक फार्मासिस्ट नियुक्त कर दिया गया है. यहां के फार्मासिस्ट अजय कुमार चौधरी हमसे बात करते वक्त गुस्से से फट पड़े. बोले, ‘साहब तंग आ चुके हैं. पूरा अस्पताल तबेला बना हुआ है. सफाई हो नहीं पा रही क्योंकि सफाई कर्मचारी नहीं है. हमारे अस्पताल में बद से बदतर हालात है. गाय और भैंसे बंधी रहती हैं. पूरे अस्पताल में गोबर फैला हुआ है. यहां दो डॉक्टर पोस्टेड थे. एक चले गए और एक डॉक्टर बचे जिनका नाम सुदेश है वो कोरोना में ड्यूटी लगी है इसलिए नहीं आते. हम यहां 6 महीनों से यहां हैं जब से आए हैं यहां एक भी बेड नहीं है. एक ताला पड़ा है बाकी खुला है. इसलिए गाय-भैंस घुस जाती हैं. मरीज आते हैं हालत देखकर चले जाते हैं.’
कुल मिलाकर सच्चाई ये है कि बहराइच जिले के स्वास्थ्य विभाग ने सेमरी घटाही स्वास्थ्य केंद्र की दुर्गति कर दी है. पूरा अस्पताल गोबर से पटा पड़ा है. यहां आपको मास्क कोरोना से बचने के लिए नहीं बल्कि गोबर की दुर्गंध से बचने के लिए लगाना होगा. और ये भी सच है कि अगर इस इलाके में कोरोना फैला तो ये अस्पताल जो अब तबेला बन चुका है वो ताबूत रखने के काम आएगा इलाज के लिए नहीं.
रिपोर्ट: सय्यद रेहान कादरी
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