कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अख़बार में एक लेख लिखा है. उन्होंने लिखा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) 2005, मौलिक और तर्कसंगत प्रणालीगत बदलावों का एक उदाहरण है.
5 महत्वपूर्ण बातें
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) 2005, मौलिक और तर्कसंगत प्रणालीगत बदलावों का एक उदाहरण है. यह मौलिक इसलिए है क्योंकि इसने बेहद ग़रीब तक सत्ता हस्तांतरित की है और उन्हें भूख एवं नुक़सान से बचाया है.
- कोरोना वायरस के इस राष्ट्रीय संकट में राजनीति का खेल खेलने का वक़्त नहीं है और यह बीजेपी बनाम कांग्रेस का मुद्दा नहीं है.
- मनरेगा जैसे शक्तिशाली तंत्र का इस्तेमाल करते हुए ज़रूरत के समय में भारत के लोगों की मदद की जानी चाहिए.
- कोविड-19 के दौर में मनरेगा ग़रीबों और सबसे कमज़ोर नागरिकों को भुखमरी और बेबसी से बचाने में एक आधार का काम करता है चाहे यह जिस तरीक़े से भी लागू किया गया हो.
- अस्तित्व में आने के बाद से यहां तक कि छह साल की इस द्वेषपूर्व सरकार में भी इसने अपना होना साबित कर दिया है. एक सरकार जिसने इसे बदनाम किया, खोखला किया और बाद में बेरुख़ी से इस पर भरोसा किया.
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में लेख लिखकर‘ कोरोना वायरस महामारी के दौर में मनरेगा की अहमियत बताई है.
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