मनमोहन सिंह कार्यकाल में शुरू हुई ‘मनरेगा योजना’ ने PM मोदी को दिया सहारा, 6 बिंदुओं में समझिए

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महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा कोरोनावायरस समय में करोड़ों लोगों के लिए आजीविका का साधन बन गई है. इस योजना की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुई थी. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने इस योजना को खूब कोसा था. लेकिन आपदा के समय में अब यही योजना मोदी सरकार के काम आ रही है.

मोदी सरकार की मजबूरी और गरीबों के लिए जरूरी

  1. इस साल एक अप्रैल के बाद कम से कम 35 लाख लोगों ने मनरेगा में शामिल होने के लिए आवेदन किया है. यह संख्या बीते एक दशक में सबसे ज्यादा है.
  2. रोजगार खोकर शहरों से गांव लौटे इन प्रवासियों की एक बड़ी संख्या अब महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा का रुख कर रही है. 
  3. मनरेगा के तहत साल भर में कम से कम 100 दिन रोजगार देने का प्रावधान है. इसके तहत तालाब खोदने से लेकर सड़क बनाने तक तमाम काम किए जाते हैं.
  4. उत्तर प्रदेश इसका उदाहरण है जहां लॉकडाउन के बाद करीब 30 लाख प्रवासी घरों को लौट आए हैं. यहां योगी आदित्यनाथ सरकार कोशिश कर ही है कि जितना हो सके, ऐसे लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जाए.
  5. पूरे देश में करीब 14 करोड़ लोगों के पास मनरेगा जॉब कार्ड है. बताया जा रहा है कि इस साल एक अप्रैल के बाद कम से कम 35 लाख लोगों ने इस योजना में शामिल होने के लिए आवेदन किया है.
  6. आर्थिक पैकेज में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मनरेगा के लिए 40 हजार करोड़ रु का अतिरिक्त आवंटन करने का ऐलान किया था. इससे पहले बजट में इस योजना के लिए करीब 61 हजार 500 करोड़ रु का आवंटन हुआ था.

कोरोना वायरस ने देश में बेरोजगारी की दर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. इस समस्या से निपटने के लिए सरकारें जो उपाय अपना रही हैं उनमें मनरेगा का दायरा बढ़ाना भी शामिल है. 

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