कैसे कोरोना काल में मोदी का ‘गुजरात मॉडल’ भरभराकर ढह गया, 20 बिंदुओं में समझिए?

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कभी देश के लिए ‘गुजरात मॉडल’ स्वप्न सरीखा था. लेकिन कोरोना ने उस स्वप्न को बुरी तरह से झकझोर दिया है. कोरोना काल में ‘गुजरात मॉडल’ भरभरा कर ढह गया है.

कोरोनावायरस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्रह राज गुजरात के विकास की कलई खोलकर रख दी है. महाराष्ट्र के बाद गुजरात कोरोना महामारी से प्रभावित दूसरा राज्य है . आंकड़े बताते हैं कि इस महामारी से निपटने में गुजरात की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरीके से फेल साबित हुई है. देश में कोरोना संक्रमण के कारण होने वाली मौतों का दर तीन प्रतिशत रहा है लेकिन गुजरात में शुरू से ही मृत्यु दर ज़्यादा रही है.

वो आंकड़े जो आपके लिए जानना जरूरी है

  1. गुजरात में अन्य राज्यों की तुलना में डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और ओबेसिटी जैसी बीमारियां ज़्यादा पाई जाती हैं.
  2. मई के अंतिम हफ़्ते तक गुजरात महाराष्ट्र के बाद सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य था. गुजरात में तबलीग़ी जमात या कोयाबेडु की तरह कोई बड़ा क्लस्टर भी नहीं मिला था.
  3. मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने दिल्ली में आयोजित तबलीग़ी जमात के लोगों को गुजरात में कोरोना फैलाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था.
  4. गुजरात में कोरोना संक्रमण के सबसे बड़े हॉटस्पॉट अहमदाबाद और सूरत रहे हैं. अहमदाबाद में गुजरात के कुल संक्रमितों में से 70 फ़ीसदी से ज़्यादा मरीज़ हैं.
  5. अहमदाबाद पूर्व इलाक़े में संकरी गलियां जिन्हें गुजराती में ‘अमदावाद नी पोड़’ कहते हैं, वहाँ पर फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग संभव नहीं है.
  6. इन इलाक़ों में पुलिस को पेट्रोलिंग में भी मुश्किलें आतीं हैं. लॉकडाउन के दौरान अहमदाबाद में 11 कंटेनमेंट ज़ोन थे जिनमें से 10 इसी इलाक़े में थे.
  7. अहमादाबाद में 17 मार्च के दिन पहला केस दर्ज किय गया था और मार्च के अंत तक यहाँ 25 केस और तीन मौतें दर्ज हुई थीं.
  8. अहमदाबाद की घनी आबादी वाले इलाक़ों से ज़्यादातर संक्रमितों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया जाता रहा है, जहाँ पर सुविधाओं के अभाव, डॉक्टरों और स्टाफ़ द्वारा दुर्व्यवहार और सही इलाज न मिल पाने की शिकायतें देखने को मिली हैं:रिपोर्ट
  9. 17.8 प्रतिशत लोगों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के पहले दिन ही हो गई जबकि सिर्फ़ 14.9 प्रतिशत लोग सात से 10 दिन और 2.5 प्रतिशत लोग दस से ज़्यादा दिन अस्पताल में ज़िंदा रहे:रिपोर्ट
  10. अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के गुजरात कैंसर ऐन्ड रिसर्च इन्स्टिट्यूट में मई महीने में 27 नर्स और सात कर्मचारी कोरोना पॉज़िटिव पाए गए जिसके बाद अन्य स्टाफ़ सदस्यों ने सही सुरक्षा उपकरणों के लिए हंगामा किया था.
  11. गुजरात में मार्च में कोरोना वायरस दस्तक दे चुका था लेकिन मई तक निजी अस्पतालों के साथ सरकार की अनबन चलती रही. इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट तक को हस्तक्षेप करना पड़ा.
  12. ICMR की गाइडलाइन्स के मुताबिक़, निजी लैब में टेस्टिंग न होने और सरकार से टेस्टिंग की मंज़ूरी मिलने में कथित देरी को लेकर भी सरकार और निजी अस्पतालों के बीच नोंक-झोंक हुई.
  13. अहमदाबाद में हॉटस्पॉट में से संक्रमण बाहर न जाए इसके लिए जिन सड़कों को बंद करने की ज़रूरत थी वैसे पांच ब्रिजों को मई के पहले हफ़्ते में बंद किया गया.
  14. गुजरात मॉडल में नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल के मुताबिक़, अगस्त 2018 तक गुजरात में 1474 प्राइमरी हेल्थ सेंटर थे जो बिहार से भी कम हैं.
  15. भारत में प्रति हज़ार की आबादी पर हॉस्पिटल में जितने बेड्स होने चाहिए गुजरात में उससे कम हैं.
  16. गुजरात के सरकारी अस्पतालों में एक हज़ार की आबादी पर 0.30 बेड्स हैं, जबकि राजस्थान में 0.60, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और ओडीशा में 0.40 है, तमिलनाडु में 1.1 बेड्स हैं.
  17. गुजरात में 363 कम्युनिटी हेल्थ केयर सेंटर हैं और 9,153 सब सेंटर हैं, ग्रामीण इलाक़ों में 30 हज़ार की आबादी के लिए एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर होता है, जहाँ से कम्युनिटी सेंटर में रेफ़र किया जाता है.
  18. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मार्च 31, 2018 तक के आँकड़े पेश किए जिसके मुताबिक़, गुजरात में प्राइमरी हेल्थ सेंटरों में डॉक्टरों के 29 फ़ीसदी स्थान खाली थे. वहीं फिज़िशियन, बच्चों के डॉक्टर, गायनोकॉलॉजिस्ट और सर्जन जैसे स्पेशियालिस्ट्स के 90 फ़ीसदी स्थान खाली थे.
  19. अनलॉक-1 के बाद गुजरात में कोरोना के केस बढ़ रहे हैं. तीन और चार जून के दौरान 24 घंटे में रिकॉर्ड 492 केस गुजरात में दर्ज हुए हैं.
  20. सरकार पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि गुजरात में टेस्टिंग बहुत कम हो रही है.

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