‘लॉकडाउन यादव’ ने दुनिया में आते ही सरकार के मुंह पर तमाचा जड़ा, अखिलेश ने कहा- स्वागत है
कुछ दिनों पहले एक वीडियो सामने आया था जिसमें कोरोना महामारी के समय में जन्मे बच्चों के नाम को लेकर एक हास्य किया गया था. लेकिन अब यह बात हकीकत हो गई है और लॉकडाउन यादव की दुनिया में एंट्री हो गई है.
नाम – लॉकडाउन यादव
पिता का नाम – उदयभान यादव
माता का नाम – रीना यादव
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में जन्मे बच्चे की उम्र जब स्कूल जाने लायक होगी तब यह बच्चा स्कूल में अपना परिचय कुछ इस तरह ही कराएगा. शुक्रवार की रात श्रमिक स्पेशल ट्रेन जो मुंबई से चली थी उसमें रीना यादव को एक बेटा हुआ. रीना और उनके पति उदयभान यादव मुंबई में रहते हैं. उदयभान मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालते हैं. 23 मार्च को लॉकडाउन होने से पहले उन्हें यह पता नहीं था कि कोरोना आपदा उनके लिए इतनी कष्टकारी हो जाएगी. क्योंकि जब लॉकडाउन हुआ तब उनकी पत्नी 7 महीने की गर्भवती थी. जैसे तैसे मुंबई में उन्होंने 2 महीने का वक्त गुजारा. और जब गुजारा करना मुश्किल हो गया तो उन्होंने अपने घर आने का फैसला किया.
उदयभान श्रमिक स्पेशल ट्रेन से मुंबई से उत्तर प्रदेश अपने घर आ रहे थे तभी रास्ते में उनकी पत्नी रीना यादव को लेबर पेन शुरू हो गया. मध्यप्रदेश के बुरहानपुर से शुक्रवार की रात जब ट्रेन गुजर रही थी तब रीना बेचैन होने लगीं. और थोड़ी देर बाद उन्होंने एक लड़के को जन्म दिया. ट्रेन में पैदा हुए इस लड़के का नाम उदयभान यादव ने लॉकडाउन यादव रखा है. उदयभान बताते हैं कि उन्होंने रेलवे हेल्पलाइन नंबर पर भी फोन किया और रेलवे के अधिकारियों से बात करने के बाद उन्हें बुरहानपुर स्टेशन पर उतारकर नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी लॉकडाउन यादव की तस्वीर ट्वीट की है. और लिखा है, ‘ नोटबंदी के समय पैदा हुआ खजांची अब लॉकडाउन में लॉकडाउन यादव के आने से अकेला महसूस नहीं करेगा’
आपको बता दें कि कोरोना आपदा से निपटने के लिए सरकार ने जो लॉक डाउन किया था उसकी वजह से मजदूरों को काफी परेशानी हो रही है. बड़े-बड़े शहरों में रोजगार की तलाश में गए मजदूर अपने घर वापसी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. जिसमें कई मजदूरों की मौत हो चुकी है और कई मजदूर दुर्घटनाओं का शिकार हो गए. ऐसे में अखिलेश यादव भारतीय जनता पार्टी की सरकार को घेर रहे हैं. उनका कहना है कि बिना सोचे समझे किए गए सरकार के निर्णय में मजदूरों को सड़क पर ला दिया है.
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