अमेरिकी एक्शन से बिलबिलाया चीनी ड्रैगन, भारत को हो सकता है फायदा
अमेरिका चीन की ऐसी 33 कंपनियों और संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट करने जा रहा है जो कथित रूप से चीनी सेना के साथ जुड़ी हैं या जिनका मुस्लिम वीगर अल्पसंख्यकों के दमन से नाता है.
कोरोना वायरस की महामारी के बाद अमेरिका और चीन में तनाव और बढ़ गया है. अमेरिक राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि कोरोना वायरस चीन के लैब में पैदा किया गया है और उनके पास इसे लेकर सबूत भी हैं.
अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, “सात कंपनियों और दो संस्थानों को लिस्ट में डाला गया क्योंकि वे वीगरों और अन्य लोगों के मानवाधिकारों के हनन के चीनी अभियान से जुड़ी थीं जिनके तहत बड़ी तादाद में लोगों को बेवजह हिरासत में लिया जाता है, उनसे बंधुआ मज़दूरी करवाई जाती है और हाई-टेक तकनीक के सहारे उन पर नज़र रखी जाती है.”
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मंत्रालय ने एक अन्य बयान में कहा कि दो दर्जन अन्य कंपनियों, सरकारी संस्थाओं और व्यावसायिक संगठनों को भी चीनी सेना के लिए सामान की आपूर्ति करने के कारण लिस्ट में डाला गया है.
ब्लैकलिस्ट होने वाली ये कंपनियाँ आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) और फ़ेशियल रिकोग्निशन जैसी तकनीकों के क्षेत्र में काम करती हैं.
अमेरिका की कई बड़ी कंपनियों ने इन्हीं क्षेत्रों में भारी निवेश किया है जिनमें इंटेल कॉर्प और एनविडिया कॉर्प शामिल हैं.
चीन की ब्लैकलिस्ट की गई कंपनियों में नेटपोसा का नाम शामिल है जो चीन की एक बड़ी एआई कंपनी जिसकी फ़ेशियल रिकोग्निशन पर काम करनेवाली सहयोगी कंपनी को मुसलमानों की निगरानी करने में लिप्त बताया जा रहा है.