नेपाल से भारत आने वाले मजदूरों की दुश्वारी, बहराइच में ठप्प हुईं सेवाएं सरकारी
‘हम लोग नेपाल में ईंट भट्टा पर काम करते हैं 6 महीने पहले पीलीभीत से लेकर अपने गांव से भट्टे पर काम करने गए थे. अब वापस घर जाना चाहते हैं तो हमारी ही सरकार हमें वापस अपने घर नहीं जाने दे रही. हमारे लिए घर जाना कभी इतना दुश्वार नहीं था’
दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए यह मजदूर परदेस जाते हैं. वहां से कुछ कमा कर घर भेजते हैं तब घर पर परिवार अपना पेट भरता है. लॉक डाउन में इन मजदूरों की कमर तोड़ दी है. नेपाल से भारत आए इन मजदूरों को अब अपने घर पहुंचने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. इनके पास खाने का इंतजाम नहीं है और यह सरकार के रहमों करम पर यहां पहुंचे हैं. 2 दिनों तक चले मजदूरों आदान-प्रदान में करीब 22 सौ मजदूर नेपाल से भारत आए और इतने ही मजदूर भारत से नेपाल गए हैं.
यह भी पढ़ें:
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
- CII India Europe Business and Sustainability Conclave 2024: एजुकेशन सेक्टर में अडानी ग्रुप नया एक्सपेरिमेंट, यूरोप की बड़ी आईटी कंपनी जॉइस्ट इनोवेशन पार्क से किया एमओयू
- दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा कहां है?
- Online Gambling: लूट के तंत्र ने कानून को किया बेबस
प्रति ट्रक करीब ₹10000 का किराया देकर नेपाल से ईट भट्टा मजदूर अपने गांव के लिए निकल रहे हैं. हालांकि यूपी सरकार ने यह ऐलान किया है कि वह सभी मजदूरों को रोडवेज बसों से उनके घरों तक पहुंचाएगी लेकिन इसका असर बहराइच में बॉर्डर पर दिखाई नहीं देता. बहराइच के जिलाधिकारी शंभू कुमार ने बताया कि नेपाल से अभी तक करीब 22 सौ मजदूर भारत आए हैं.
भारत नेपाल के नागरिकों के आदान-प्रदान की कार्यवाही के दौरान जिलाधिकारी शंभू कुमार और पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा जिला आबकारी अधिकारी प्रगल्भ लवानिया और एसएसबी के अधिकारी मौजूद रहे. अब तक करीब 3 चरणों में दोनों देशों के नागरिकों के हुए आदान प्रदान में नेपाल राष्ट्र के करीब तीन हजार नागरिक और भारत के करीब 2200 नागरिकों का आदान प्रदान किया गया. दोनों देशों के नागरिकों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया अभी जारी है.
अधिकारियों का दावा है कि नेपाल से आने वाले भारतीय नागरिकों को आश्रय स्थल पर रखा जाता है जहां उनका स्वास्थ्य परीक्षण करने के साथ-साथ उन्हें भोजन और पानी मुहैया कराया जाता है. बहराइच प्रशासन कहता है की श्रमिकों के लिए भोजन पानी और दवा की व्यापक प्रबंध है.
लेकिन हकीकत अलग है. लोग बिना किसी परीक्षण के अपने संसाधनों से अपने घरों को जाने को मजबूर है. यह हाल केवल बहराइच के जिला प्रशासन का नहीं है. नेपाल से आने वाले दूसरे जिलों के निवासी अपनी ही जुगाड़ से अपने घरों में पहुंच रहे हैं. भारत-नेपाल सीमा रूपईडीहा में इस तरह के मजदूरों का तांता लगा हुआ है और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं.