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विकास दर और अर्थव्यवस्था सिकुड़ेगी : आरबीआई

What is repo rate, reverse repo rate, CRR and SLR?

कोरोना वायरस से आर्थिक मंदी गहराने की चिंताओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि इस वित्तीय वर्ष में देश की विकास दर नकारात्मक रहने का अनुमान है. केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि लॉकडाउन के चलते मांग और उत्पादन में भारी कमी आई है जिसके चलते अर्थव्यवस्था सिकुड़ेगी.

शक्तिकांत दास ने इस संकट के से निपटने के लिए कई बड़े ऐलान किए. इनमें रेपो रेट में 40 बेसिस पॉइंट्स की कमी शामिल है. इसके बाद यह 4.40 फीसदी से घटकर चार फीसदी हो गया है. मार्च में ही आरबीआई ने रेपो रेट में 75 बेसिस पॉइंट्स की ऐतिहासिक कटौती करते हुए इसे 5.15 से 4.40 फीसदी किया था. रिवर्स रेपो रेट में भी कटौती हुई है. इसमें 65 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करते हुए इसे चार से 3.35 फीसदी कर दिया गया है. जानकारों के मुताबिक इसका मकसद यह है कि बैंकों को आरबीआई के पास पैसा जमा करते रहने से ज्यादा आकर्षक विकल्प इस पैसे को उत्पादक क्षेत्रों के लिए कर्ज देना लगे.

ईएमआई न चुकाने की मोहलत 3 माह बढ़ी

आरबीआई ने लोन मोरेटोरियम की अवधि को भी 3 महीने बढ़ाने का एलान किया. अब लोन पर मोरेटोरियम की अवधि अगस्त तक बढ़ा दिया गया है. यानी आप अपने लोन की ईएमआई को 3 महीने और रोकने का विकल्प ले सकते हैं. पहले यह मार्च से मई तक के लिए था, जो अब मार्च से अगस्त तक के लिए हो गया है.

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आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इस साल वर्ल्ड ट्रेड के वॉल्यूम में 13-32 फीसदी गिरावट आ सकती है. उन्होंने कहा कि कोविड 19 की वजह से शहरी और ग्रामीण मांग दोनों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि मार्च में प्राइवेट कंजम्पशन में कमी आई है और इस दौरान कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के प्रोडक्शन में 33 फीसदी गिरावट देखने को मिली. उन्होंने कहा, चालू वित्तीय वर्ष की जीडीपी ग्रोथ रेट नेगेटिव रह सकता है. आपको बता दें कि दुनिया की बड़ी एजेंसी भी इस बात की घोषण कर चुकी हैं.

आरबीआई ने पहले भी किए ये बड़े एलान

महंगाई बढ़ने की आशंका

https://youtu.be/rsELUlJ20Fk

लॉकडाउन की वजह से महंगाई बढ़ने की आशंका है. अनाजों की आपूर्ति एफसीआई से बढ़ानी चाहिए. देश में रबी की फसल अच्छी हुई है. बेहतर मॉनसून और कृषि से काफी उम्मीदे है. मांग और आपूर्ति का अनुपात गड़बड़ाने से देश की अर्थव्यवस्था थमी हुई है. सरकारी प्रयासों और रिजर्व बैंक की तरफ से उठाए गए कदमों का असर भी सितंबर के बाद दिखना शुरू होगा.

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