पश्चिम बंगाल और ओडिशा में तबाही के निशान छोड़ता हुआ चक्रवाती तूफान अंफन अब पूर्वोत्तर की तरफ बढ़ गया है. इसके चलते असम और मेघालय में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है.
अंफन ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में 12 लोगों की जान ले ली है. इन दोनों राज्यों में कच्चे मकानों में रहने वाले लाखों लोगों के सिर से छत भी छिन गई है. फिलहाल दोनों राज्यों के छह लाख से ज्यादा लोग राहत शिविऱों में हैं. एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्य को अंजाम दे रहे हैं.
कोरोना वायरस महामारी के समय आई इस आपदा ने अधिकारियों के लिए दोहरी मुश्किल खड़ी कर दी है. उनके लिए लोगों के बीच उचित दूरी बनाए रखने जैसी सावधानियों का पालन करवाना बहुत मुश्किल हो रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अंफन तूफान ने कोरोना वायरस से ज्यादा तबाही मचाई है. उनके मुताबिक इसमें राज्य को करीब एक लाख करोड़ रु का नुकसान हुआ है.
बंगाल की खाड़ी से उठे इस तूफ़ान के कारण भारत के पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पड़ोसी बांग्लादेश में तेज़ हवाएं चली हैं और भारी बारीश हो रही है. तूफ़ान के कारण तीनों जगहों पर सैंकड़ों पेड़ जड़ से उखड़ गए हैं, हज़ारों घर नष्ट हुए हैं और लाखों लोग इससे प्रभावित हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के बीच लोगों निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है. बंगाल की खाड़ी में लगभग हर साल तूफ़ान आते हैं जो आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश को प्रभावित करते हैं.
साल 2007 में सिद्र तूफ़ान के कारण बांग्लादेश 3,500 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. साल 1999 में ओडिशा से टकराए सुपर साइक्लोन ने क़रीब दस हज़ार से अधिक लोगों की जान ली थी. इसके आठ साल पहले तूफ़ान, तेज़ हवाओं और बाढ़ के कारण बांग्लादेश में कम से कम 139,000 लोगों की मौत हुई थी. साल 1970 में तूफ़ान और बाढ़ के कारण कम से कम पाँच लाख लोगों की मौत हुई थी.
- सिलिकॉन वैली पहुँचा JOIST, वैश्विक संबंधों को विस्तार देने की कोशिश!
- क्या खत्म हो गई है पीएम मोदी और ट्रम्प की दोस्ती?
- मुश्किल में बीजेपी नेता विकास गर्ग, गाज़ियाबाद कोर्ट ने कहा- “दोबारा जाँच करके रिपोर्ट पेश करे पुलिस” जानिए क्या है पूरा मामला?
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?