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केरल में 5 जून को मानसून की दस्तक, बारिश बदलेगी देश का माहौल

आईएमडी का कहना है कि ± 4 की मॉडल त्रुटि के साथ केरल में इस साल मानसून की शुरुआत 5 जून को होने की संभावना है. मौसम विभाग ने कहा है कि पिछले 15 सालों में सिर्फ 2015 को छोड़ दें तो हर बार अनुमान सटीक साबित हुआ है.

मौसम विभाग (आईएमडी) ने जानकारी दी है कि इस साल मानसून केरल में 4 दिन की देरी से आ सकता है. मौसम विभाग ने इस बारे में जानकारी देते हुए शुक्रवार को बताया कि इस साल केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत थोड़ी देर से 5 जून से होने की संभावना है. सामान्य तौर पर इसकी डेट 1 जून मानी जाती है. बता दें कि भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून 4 महीनों जून से सिंतंबर तक के लिए होता है. भारत की कृषि व्यवस्था के साथ साथ अर्थव्यवस्था बहुत हद तक मानसून पर निर्भर होती है.

कहां कब आएगा मॉनसून?

मौसम विभाग ने 1960-2019 के आंकड़ों के आधार पर देश के कई हिस्सों के लिए मानसून की शुरुआत और वापसी की तारीखों को भी संशोधित किया है. पिछली तारीखें 1901 और 1940 के आंकड़ों पर आधारित थीं. वहीं अन्य राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मानसून सामान्य तारीखों की तुलना में 3 से 7 दिनों की देरी से आएगा.

आम तौर पर कब कहां पहुंचता है मॉनसून

दक्षिण-पश्चिम मानसून के शनिवार तक यानी 16 मई को अंडमान और निकोबार द्वीप और बंगाल की खाड़ी पहुंचने की संभावना है. आईएमडी के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून अक्सर 20 मई तक अंडमान और निकोबार द्वीप और बंगाल की खाड़ी पहुंच जाता है और उसके बाद यह 10 से 11 दिनों में केरल में दस्तक देता है. दक्षिण-पश्चिम मानसून को खरीफ फसल जैसे धान, मोटे अनाज, दालें और तिलहन बोने के लिए अहम माना जाता है.

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