खबर बुरी है लेकिन सच है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही आत्मनिर्भर बनने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया हो लेकिन लॉक डाउन में लाखों करोड़ रूपया डूब गया है.
खुदरा कारोबारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि बीते 50 दिन के लॉकडाउन में खुदरा व्यापारियों का करीब 7.50 लाख करोड़ रुपये का कारोबार नहीं हुआ है. इसका असर सरकारी खजाने पर भी पड़ा है. केंद्र और राज्य सरकार को करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये GST राजस्व में भी नुकसान हुआ है.
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कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि भारत में कम से कम 2.5 करोड़ व्यापारी इस गंभीर आर्थिक तबाही का सामना लिक्विडिटी के अभाव में नहीं कर सकेंगे. उनके पास ऐसे समय में अपने व्यापार को चलाने के लिए पर्याप्त कैपिटल नहीं है क्योंकि उनकी दुकानें एक लंबे समय से बंद हैं, जिसमें कोई कारोबार न होने से आय का साधन बंद हो गया है. एक ओर उन्हें वेतन, किराया, अन्य मासिक खर्चों का भुगतान करना पड़ रहा है और दूसरी ओर उन्हें उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल इनकम में तेज गिरावट के साथ-साथ सख्त सामाजिक दूरियों के मानदंडों के साथ ही अपने व्यापार को चलाना पड़ेगा. कम से कम आगामी 6-9 महीने तक के समय में व्यापार में सामान्य स्थिति आ पाएगी. केंद्र सरकार द्वारा रिटेल व्यापार को एक पर्याप्त आर्थिक पैकेज देना आवश्यक है.
खंडेलवाल ने कहा है, लॉकडाउन हटाए जाने के बाद देश के व्यापार बाजारों में लगभग केवल 20 फीसदी ग्राहकों के आने की सम्भावना है क्योंकि कोरोना का डर अभी भी ग्राहकों के बीच बना हुआ है जो उन्हें बाजारों में जाने से रोकेगा. व्यापारियों के इस बेहद बड़े वित्तीय संकट के कारण यह भी उम्मीद है कि लॉकडाउन खुलने के बाद देश भर में कम से कम 20 फीसदी व्यापारियों को अपना व्यापार बंद करना पड़ सकता है. साथ ही लगभग 10 फीसदी व्यापारी जो इन 20 फीसदी व्यापारियों पर निर्भर हैं, के भी कारोबार ठप होने की आशंका है.
कोविड -19 ने भारतीय खुदरा व्यापार को काफी नुकसान हुआ है. पूरे देश के रिटेल व्यापार प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन खुलने के बाद व्यापार कम से कम दिसंबर से पहले पूरी तरह नहीं चल पाएगा. हालांकि, खुदरा कारोबारी अगले नवरात्र से दिवाली तक होने वाले त्योहारी कारोबार में तेजी की उम्मीद कर रहे हैं.