20 रुपये पाव…. 40 रुपये पाव…. काफी वक्त लगा था कन्फ्यूजन खत्म करने में… कई बार तो कहना भी पड़ा, यार किलो का भाव बताया करो…. कन्फ्यूजिया जाते है.
वक्त बदला… कोरोना के चलते तालाबंदी…. 20 के दो किलो….. 20 के डेढ़ किलो… तोरई, लौकी, करैला, भिंडी, खीरा, टमाटर, बैगन, कोहड़ा, आलू, प्याज वगैरह वगैरह
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मगर बहरवासुओं परवल, कटहल, शिमला मिर्च, बीन्स का भौकाल अब भी टाइट है…. मिलने के लिए भी एप्वाइंटमेंट लेना पड़ रहा…
बनारस के होटल, रेस्तरां, चाय-नाश्ते की दुकानें बंद हैं…. एजुकेशनल और मेडिकल हब भी है आध्यात्मिक नगरी बनारस… मगर पड़ोसी जिलों के विद्यार्थी, मरीज, व्यापारी और तीर्थ यात्री, टूरिस्ट सब नदारद हैं… शायद बाहर भी नहीं जा पा रही हैं… धूप तल्ख है…. कई फैक्टर हैं… मगर जो सबसे बड़ी बात – टेस्ट नहीं हैं… कई बार तो दवा की तरह घोंटना पड़ता है…
दरवाजे पर सब्जियां मिल जा रही हैं… सब्जी वालों की तादाद बढ़ गई हैं… पहले जो ठेले पर अन्य घरेलु जरूरतों के सामान बेचते थे…. वे भी अब सब्जी बेच रहे हैं… खैर परिवार चलाने के लिए कुछ भी गलत नहीं है…. मगर कॉम्पटीशिन’ तो बढ़ गया है…