रिपोर्ट में खुलासा: अब आप शराब का अर्थशास्त्र समझिए !
देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से हो रहे राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए कुछ राज्यों में शराब पर टैक्स भी बढ़ाया गया है.
कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते लागू लॉकडाउन के चलते राजस्व में जबरदस्त कमी झेल रही राज्य सरकारों ने शराब के जरिए आमदनी बढ़ाने की पहल की है. इस बीच एक रिपोर्ट खराब की खपत और उससे मिलने वाले राजस्व को लेकर सामने आई है. इस में एक बहुत ही चौंकाने वाला तथ्य समाने आया है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
देशभर में जितनी शराब की खपत होती है, उसमें से करीब आधी शराब अकेले पांच दक्षिणी राज्यों में पी जाती है. इसके बावजूद शराब से मिलने वाले राजस्व का इन राज्यों के कुल राजस्व में मात्र 10 से 15 फीसदी हिस्सा ही है. देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से हो रहे राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए कुछ राज्यों में शराब पर टैक्स भी बढ़ाया गया है. दिल्ली में तो शराब बोतल के अधिकतम खुदरा मूल्य पर 70 फीसदी ‘विशेष कोविड-19 उपकर’ लगाया गया है.
Also read:
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
- CII India Europe Business and Sustainability Conclave 2024: एजुकेशन सेक्टर में अडानी ग्रुप नया एक्सपेरिमेंट, यूरोप की बड़ी आईटी कंपनी जॉइस्ट इनोवेशन पार्क से किया एमओयू
- दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा कहां है?
- Online Gambling: लूट के तंत्र ने कानून को किया बेबस
दक्षिण के पांच राज्यों समेत महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान का कुल मिलाकर शराब खपत में 75 फीसदी हिस्सा है. लेकिन शराब की दुकानों को फिर खोलना इन राज्यों के लिए एक बड़ी चुनौती भी बन सकती है, क्योंकि देश में कोरोना वायरस के 85 फीसदी से ज्यादा मामले इन्हीं राज्यों में सामने आए हैं. इसमें सबसे अधिक 31.2 फीसदी मामले महाराष्ट्र में हैं. उसके बाद दिल्ली में 10 फीसदी, तमिलनाडु में 7.6 फीसदी, मध्य प्रदेश में 7 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 5.9 फीसदी कोरोना वायरस के मामले हैं. इनमें सबसे कम मामले केरल में हैं जो एक फीसदी से भी नीचे हैं.
तमिलनाडु में देश में 13% शराब खपत होती है
देश के कुल शराब उपभोग में सबसे अधिक हिस्सेदारी 13 फीसदी तमिलनाडु की है. वहीं, कर्नाटक में 12 फीसदी खपत होती है. दक्षिण के पांच राज्यों में शराब पर सबसे अधिक कर केरल में है. वहीं देश में शराब पर सबसे अधिक कर महाराष्ट्र में वसूला जाता है. लेकिन राज्य के राजस्व में उसकी हिस्सेदारी सिर्फ 8 फीसदी है. वहीं, यह शराब की राष्ट्रीय खपत का सिर्फ 8 फीसदी उपभोग भी करता है.
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में 45 फीसदी शराब की खपत होती है. लेकिन शराब से इनकी राजस्व आय मात्र 10-15 फीसदी है. इसमें भी तमिलनाडु और केरल को शराब से 15 फीसदी राजस्व मिलता है. वहीं, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक को इससे 11 फीसदी और तेलंगाना को उनके कुल राजस्व का 10 फीसदी राजस्व ही प्राप्त होता है. दिल्ली इस सूची में तीसरे स्थान पर आता है. दिल्ली अपने राजस्व का 12 फीसदी शराब से कमाती है लेकिन देश के कुल शराब उपभोग में इसकी हिस्सेदारी मात्र 4 फीसदी है.