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भारत में 60 रुपए प्रति लीटर कम हो सकता है पेट्रोल ?

वैश्विक तेल उद्योग जगत का अनुमान है कि कोविड-19 महामारी की वजह से दुनिया में तेल की खपत में 35 प्रतिशत से ज़्यादा गिरावट दर्ज की गई है. पाकिस्तान ने भी पेट्रोल पर 15 रुपए कम कर दिए हैं. तो क्या भारत में भी तेल की कीमतों में कटौती हो सकती है.

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार बुधवार को देश की ऑयल एंड गैस रेग्युलेटरी अथॉरिटी (OGRA) ने पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्रालय से यह अनुरोध किया था कि ‘अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमतें कम हो रही हैं, इसलिए देश में भी तेल की क़ीमतें कम की जाएं.’ पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक़ एक मई 2020 से देश में नई क़ीमतें लागू हो चुकी हैं जिसमें पेट्रोल पर 15 रुपए, हाई स्पीड डीजल पर 27.15 रुपए, मिट्टी के तेल पर 30 रुपए और लाइट डीजल ऑयल पर 15 रुपए कम किए गए हैं. यानी जो एक लीटर पेट्रोल पहले 96 रुपए का मिल रहा था, अब 81 रुपए लीटर हो गया है. वहीं हाई स्पीड डीजल की क़ीमत पहले 107 रुपए लीटर थी, जो अब घटकर 80 रुपए प्रति लीटर हो गई है.

‘भारत में घटें तेल की कीमतें’

कांग्रेस पार्टी ने मार्च के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस दलील के साथ घेरने की कोशिश की थी कि ‘अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमतें क़रीब 35 प्रतिशत घट चुकी हैं तो भारत की आम जनता को तेल की घटी हुई क़ीमतों का मुनाफ़ा कब मिलने वाला है? भारत सरकार कब पेट्रोल की क़ीमत 60 रुपये प्रति लीटर से नीचे लाएगी?’ 21 अप्रैल को एक बार फिर कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि “दुनिया में कच्चे तेल की क़ीमतें अप्रत्याशित आँकड़ों पर आ गिरी हैं, फिर भी हमारे देश में पेट्रोल 69 रुपये और डीज़ल 62 रुपये प्रति लीटर क्यों? इस विपदा में जो दाम घटें, वो उतना अच्छा. कब सुनेगी ये सरकार?”

https://youtu.be/2ZjtAf5km4c

आपको बता दें कि सामान्य दिनों में भारत में रोज़ाना 46-50 लाख प्रति बैरल तेल की खपत होती है. लेकिन भारतीय तेल बाज़ार का अनुमान है कि कोविड-19 महामारी की वजह से भारत में तेल की खपत लगभग 30 प्रतिशत कम हो गई है. भारत में तेल की क़ीमतों में क़रीब 50 फ़ीसद टैक्स शामिल होता है. भारत में तेल की माँग घटी है तो सरकार को टैक्स भी कम मिल रहा है और केंद्र-राज्य, दोनों के टैक्स कलेक्शन में गिरावट दर्ज की गई है.

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