लॉकडाउन से ओजोन परत को फायदा हुआ?
दुनिया में covid-19 से बचने के लिए लॉकडाउन है. इसके अपने नुकसान भी हैं लेकिन इस बंदी ने दुनिया और इंसानियत को एक बहुत बड़ा फायदा पहुंचाया है.
23 अप्रैल को एक अच्छी ख़बर आई. सीएएमएस ने ट्वीट कर जानकारी दी कि इस साल यानी 2020 के मार्च में उत्तरी गोलार्ध में ओज़ोन परत में जो अभूतपूर्व छेद दिखा था वह बंद हो गया है. दरअसल, ओज़ोन परत पृथ्वी को सूरज की हानिकारक किरणों से ज़रूरी सुरक्षा मुहैया कराती है. पृथ्वी की ज़्यादातर ओज़ोन इसके वातावरण (वायुमंडल) के ऊपरी स्तर यानी समताप मंडल में मौजूद होती है.
इंसानों के लिए ये परत ज़रूरी क्यों?
ज़मीन से 10-40 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद ओज़ोनपरत पृथ्वी को अल्ट्रावायलेट विकिरण से बचाने में काफ़ी मददगार है. इस रक्षा कवच में किसी भी छेद से बर्फ़ के पिघलने की गति काफ़ी बढ़ सकती है और यह जीवधारियों के प्रतिरोधक प्रणाली को प्रभावित कर सकती है. इससे मनुष्यों को स्किन कैंसर या रतौंधी जैसी बीमारियां हो सकती है.
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सीएएमएस ने एक ट्वीट कर कहा कि आर्कटिक के ऊपर ओज़ोन परत में हुए इस बड़े छेद का कोरोनावायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से कोई संबंध नहीं है. यह तो बेहद मज़बूत और असाधारण हवा और लंबे वक्त से बने पोलर वोर्टेक्स की वजह से हुआ था.
2050 तक बंद होगा होल
उत्तरी ध्रुव के ऊपर ओज़ोन में छेद एक दुर्लभ घटना है लेकिन अंटाकर्टिका के ऊपर पिछले 35 साल से हर साल इससे भी बड़ा छेद बार-बार पैदा हो जाता है. हालांकि इसका आकार हर साल घटता बढ़ता रहता है. लेकिन निकट भविष्य में तो बंद होता नहीं दिखता.
वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल्स ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) का कहना है कि अंटाकर्टिका के ऊपर ओज़ोन का छेद 2000 से अब तक एक से तीन फ़ीसदी तक छोटा हो चुका है. हालांकि 2019 में अंटाकर्टिका में सबसे छोटा छेद रिकॉर्ड किया गया था. लेकिन(डब्ल्यूएमओ) का कहना है कि अंटाकर्टिका की ओज़ोन परत की छेद को भरने के लिए कम से कम 2050 तक इंतजार करना होगा.