कोरोना इफेक्ट : जनता को राहत देते हुए अर्थव्यवस्था को बचाने की चुनौती
कोरोना वायरस और लॉकडाउन के संकट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप्प हो गई हैं और लोगों सरकार की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं. ऐसे में दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने जनता को राहत दी है.
दो खबरें जो सुकून भरी है. ऐसे वक्त में जब लोग का भरोसे राजनीति से उठ रहा है तब तेलंगाना और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों ने जनता की उम्मीद जगाई है. महाराष्ट्र सरकार ने बिजली की दरों में पांच साल के लिए 20 फीसदी तक कटौती का एलान किया है और तेलंगाना में नेताओं-अफसरों के वेतन में कटौती का फैसला किया गया है. इसमें सीएम का वेतन भी 75 फीसदी घटाया गया है. कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते देश का पूरा आर्थिक तंत्र चरमरा गया है. ऐसे में एक तरह सरकारों को अपनी तिजोरी का ख्याल भी रखना है और दूसरी तरफ जनता को राहत भी देनी है.
महाराष्ट्र में बिजली बिल में कटौती
एक तरफ अर्थव्यवस्था में मंदी गहराने की आशंकाओं के बीच महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है. सरकार ने अगले पांच साल तक बिजली के बिल में 20 फीसदी तक की कटौती कर दी है. उसने यह फैसला कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए हालात से निपटने में कारोबारियों और आम लोगों की मदद करने के लिए किया है. इस कटौती में सबसे ज्यादा फायदा महाराष्ट्र के उद्योग जगत को दिया गया है जबकि किसानों को सबसे कम.
औद्योगिक इकाइयों के लिए यह कटौती 18 से 20 फीसदी तक है जबकि किसानों के लिए महज एक फीसदी. आवासीय इकाइयों के लिए यह आंकड़ा 10-11 फीसदी है. सरकार ने लोगों से यह अपील भी की है कि वे ऊर्जा की बर्बादी न करें. कोरोना वायरस के चलते देश में 21 दिनों का लॉकडाउन है. इस दौरान जरूरी सेवाओं को छोड़कर सभी प्रतिष्ठान बंद हैं. माना जा रहा है कि इस संकट के चलते अर्थव्यवस्था को बड़ी चोट लगनी तय है.
सीएम और अधिकारियों के वेतन में कटौती
कोरोना वायरस संकट के बीच तेलंगाना सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. उसने अपने सभी कर्मचारियों, नौकरशाहों और जनप्रतिनिधियों के वेतन में भारी कटौती की घोषणा की है. यह कटौती न्यूनतम 10 से लेकर अधिकतम 75 प्रतिशत तक की जाएगी. खबरों के मुताबिक यह फैसला मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव (केसीआर) ने अपने प्रमुख अफसरों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में लिया. इस बड़े फैसले की वजह कोरोना वायरस से उपजी महामारी कोविड-19 के चलते चरमराते वित्तीय ढांचे को बताया जा रहा है. मुख्यमंत्री, उनके कैबिनेट सहयोगियों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, विभिन्न राज्य-स्तरीय निगमों के अध्यक्षों और शहरी-ग्रामीण स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के वेतन में 75 प्रतिशत की कटौती की जाएगी.
आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के वेतन में 60 प्रतिशत की कटौती होगी. शिक्षकों, राजपत्रित और अराजपत्रित कार्यालयों सहित अन्य सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के मासिक वेतन में 50 प्रतिशत की कटौती होगी. चपरासी जैसे चतुर्थ श्रेणी वाले पदों और अनुबंध वाले कर्मचारियों के वेतन में 10 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सभी श्रेणियों की पेंशन में 50 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. वहीं सेवानिवृत्त चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की पेंशन में 10 प्रतिशत की कटौती होगी.
वैश्विक मंदी की आशंका
विश्व बैंक सहित कई संस्थाएं कह चुकी हैं कि कोरोना वायरस का असर वैश्विक मंदी के रूप में भी दिखेगा. जानकारों के मुताबिक यह मंदी 2008-09 से भी बुरी होगी. सभी देश इससे निपटने के लिए एहतियाती कदम उठा रहे हैं. भारत में भी इसके लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाई गई है जिसकी कमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ में है. सरकारों के सामने ये चुनौती है कि वो एक तरफ जनता को राहत दें और दूसरी सरकारी खजाने भी बचाए रखें.