‘मुझे एससी बनाकर पैसा निकाल लिया गया है. जबकि मैं ब्राह्मण हूं. 2013-14 में मेरे और मेरी बहू के नाम से शौचालय का पैसा निकाल लिया गया. उस वक्त मैं भारत में था भी नहीं.’
गोखपुर जिले के गगहा ब्लॉक में पड़ने वाले जीवकर ग्राम पंचायत के रामदरस पांडे ये कहते हुए आक्रोशित हो जाते हैं. रामदरस पांडे गोरखपुर शहर में रहते हैं लेकिन उनका अपने पैतृक गांव जीवकर से काफी लगाव है. जीवकर ग्राम पंचायत को 2017-18 में ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया था.
लेकिन गांव वालों की शिकायत है कि गांव स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत जो शौचालय बनवाए गए हैं उनमें भ्रष्टचार हुआ है. इसी गांव के रहने वाले अंबिका यादव बताते हैं कि गांव में 113 शौचालय बनवाए गए हैं जिनमें से 20 से 30 शौचालय तो ऐसे हैं जो सिर्फ कागजों पर ही बनवा दिए हैं.
गांव के ज्यादातर शौचालय ऐसे हैं जिसमें शीट नहीं है, जिसमें शीट है उसमें दरवाजा नहीं है, जिसमें दरवाजा है उसमें छत नहीं है. सबकुछ है तो पानी की टंकी नहीं है. कुछ शौचालय तो ऐसे हैं जिमसें सालों से ताला लगा हुआ है. जीवकर ग्राम पंचायत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ओडीएफ योजना की हकीकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सता है कि गांव की कई महिलाएं ये कहती हैं कि वो मजबूरन खुले में शौच के लिए जाती है. बेतरतीब तरीके से जगह जगह बनवा दिए गए शौचालय देखकर ये समझ आता है कि प्रति शौचालय 12 हजार रुपयों का बड़े पैमाने पर बंदरबांट किया गया है.
बदहाल गांव बेहाल स्कूल
जीवकर ग्राम पंचायत में जैसे ही आप घुसते हैं तो आपको प्राइमरी स्कूल दिखाई देता है. स्कूल के पास में ही आंगनबाड़ी केंद्र बना हुआ है. स्कूल में तो गंदगी है ही आंगनवाड़ी केंद्र के दोनों शौचालय बंद और बदहाल पड़े हैं. रसोईघर में जानवर बांधने की जगह बना दी गई है.
गांव के कई लोगों ने इस बात की जानकारी दी कि प्राइमरी स्कूल के लिए भी लाखों रुपये का बजट आया है लेकिन स्कूल की मरम्मत नहीं कराई गई. गांव वालों का ये भी कहना है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे तो बहुत हैं लेकिन स्कूल की ऐसी हालत देखकर ज्यादातर बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाते हैं.
प्रधान को मिला है पुरस्कार
जीवकर ग्राम पंचायत के प्रधान सरितेश मिश्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित किया है. 2015-16 में प्रधान को गांव के विकास में उनके योगदान के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. प्रधानमंत्री से सम्मान प्राप्त करते हुए उन्होंने अपनी बड़ी से तस्वीर अपने घर के मुख्य दरवाजे पर भी लगा रखी है. सरितेश मिश्रा को इस बात का गर्व है कि उन्हें प्रधानमंत्री ने सम्मानित किया है. लेकिन उनके गांव के लोग इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. गांववाले कहते हैं कि प्रधान ने पुरस्कार लेने में भी जुगाड़ लगाई है.
‘गांव के शवदाहगृह में गबन’
जीवकर ग्राम पंचायत के लोगों ने बताया कि गांव के पास से बहने वाली राप्ती नदी के किनारे एक शवदाहगृह का निर्माण कराया गया है. गांव के ज्यादातर लोग कहते हैं कि इसे बनवाने में सरकारी फंड का दुरुपयोग किया गया है. करीब 13 लाख रुपये के बजट को खर्च करके चार पिलर पर छत डाल दी गई है. बाकी की रकम किसके खाते में गई है ये जांच का विषय है. गांव वालों का कहना है कि वो अपने प्रधान से तंग आ गए हैं. उन्होंने कई बार इसकी शिकायत भी जिला मुख्यालय पर की है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
कैसे ओडीएफ हुई जीवकर पंचायत ?
सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर को जिले के DM विजयेंद्र पाण्डियन ने 2018 में खुले में शौचमुक्त (ODF) घोषित कर दिया था. डीएम विजयेंद्र पाण्डियन ने बेस लाइन सर्वे 2012 के मुताबिक Gorakhpur को खुले में शौचमुक्त यानी ODF बताया. इससे जुड़ा एक प्रमाणपत्र जारी करने के साथ उन्होंने लोगों को शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए अभियान चलाने की बात पर भी जोर दिया था. गोरखपुर के ODF घोषित होने के बाद मंडलीय टीम ने जिले के सभी गांवों का निरीक्षण किया था.
मंडलीय टीम द्वारा प्रमाणित होने के बाद उनकी रिपोर्ट पर राज्य की टीम ने सत्यता की जांच की और जिले को खुले में शौचमुक्त घोषित किया गया. ODF योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना थी. 2 अक्टूबर 2019 को पूरे देश को ही ODF घोषित किया जा चुका है. लेकिन गोरखपुर के गगहा ब्लॉक की जीवकर ग्राम पंचायत के हालात कुछ और कहते हैं. यहां रहने वाले ज्यादातर लोगों का ये मानना है कि गांव के विकास के लिए आए बजट को प्रधान अधिकारियों के साथ मिलकर डकार गए.