सरकार कैसे करती है नेटबंदी, अब तक कितना हुआ है नुकसान?

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How does the government do netbandi, how much damage has been done so far?

देश के अलग-अलग हिस्सों में पिछले पिछले कुछ दिनों में कई बार इंटरनेट बंद किया गया. कानून व्यवस्था बिगड़ने से रोकने के लिए सरकार ने इंटरनेट बंद करने का फैसला किया. लेकिन इंटरनेट बंद कैसे किया जाता है? क्या इंटरनेट बंद होने के बाद भी चैटिंग हो सकती है?

इंटरनेट बंद होने के बाद ऐसा लगता है कि आपके हाथ में कुछ भी नहीं है. इस वक्त भारत दुनियाभऱ में इंटरनेट का सबसे बड़ा बाजार है. लेकिन इसका लोग गलत इस्तेमाल भी करते हैं जिसकी वजह से कानून व्यवस्था बिगड़ने की घटनाएं सामने आती हैं और इसलिए भारत दुनिया का ऐसा देश भी बन गया है जहां पर सबसे ज्यादा इंटरनेट बंद किया जाता है. इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकनॉमिक रिलेशन्स के मुताबिक,

कब-कब बंद रहा इंटरनेट ?

  • 2012 से जनवरी, 2019 तक भारत में केंद्र या राज्य सरकारों ने 367 बार इंटरनेट बंद किया
  • 2019 की ही बात करें तो 20 20 दिसंबर तक करीब 95 बार इंटरनेट बंद किया गया
  • 95 में से 60 बार 24 घंटे से कम समय के लिए, 55 बार 24 से 72 घंटे के लिए नेटबंदी हुई
  • 39 बार ऐसा हुई कि सरकार ने 72 घंटे से ज्यादा समय के लिए इंटरनेट बंद किया
  • 2012 से 2017 के बीच कुल मिलाकर 16 हजार घंटे इंटरनेट बंद रहा.
  • राज्यों में 5 अगस्त 2019 से पहले तक सबसे ज्यादा जम्मू कश्मीर में 180 बार नेटबंदी हुई
  • 27 दिसंबर को करगिल में इंटरनेट चालू होने की बात सामने आई है.
  • 2016 में बुरहान वानी के मारे जाने के बाद चार महीने इंटरनेट बंद रहा.
  • नेटबंदी के मामले में J&K के का बाद राजस्थान दूसरे नंबर पर, 67 बार नेटबंदी हुई
  • राजस्थान कानून व्यवस्था बिगड़ने के अलावा कई प्रतियोगी परीक्षाओं में नेटबंदी हई

नेटबंदी ने 2012 से लेकर 2017 तक करीब तीन अरब डॉलर का चूना लगाया है. साथ ही ऑनलाइन व्यापार करने और ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ उठाने वाले उपभोक्ताओं को भी परेशानी उठानी पड़ती है. ये आकंड़े बताते हैं कि भारत भले ही इंटरनेट का बड़ा बाजार हो लेकिन इंटरनेट की वजह से कानून तोड़ने के मामले भी यहां कम नहीं है. आमतौर पर इंटरनेट तब बंद किया जाता है जब सरकार को कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका होती है. हाल के समय में देखा गया है कि किसी सांप्रदायिक या राजनीतिक तनाव की घटना में इंटरनेट पर मौजूद मैसेजिंग ऐप्स या सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज तेजी से फैलाई जाती है. इसमें हिंसा करने के लिए लोगों को इकट्ठा करने और दूसरी तरह की हिंसक गतिविधियां शामिल होती हैं.

2019 में अनुच्छेद 370 हटाने, राम मंदिर विवाद के फैसले और नागरिकता संशोधन अधिनियम के दौरान इंटरनेट बंद करना सामान्य तौर पर देखा गया. इससे पहले 2011 में सरकार ने बल्क मैसेजिंग पर रोक लगाई थी. तब एक दिन में किए जा सकने वाले मैसेजों की संख्या 100 तक सीमित कर दी गई थी. तो नेटबंदी मोदी सरकार में भी जमकर हुई और उससे पहले भी सरकार नेटबंदी करती रही है. लेकिन नेटबंदी होती कैसे है. कैसे लगाई जाती है कि इंटरनेट पर लगाम?

कैसे बंद होता है इंटरनेट?

इंटरनेट को बंद करने की प्रक्रिया समझने के लिए सबसे आसान तरीका है वाईफाई को समझना. वाईफाई का एक राउटर होता है. राउटर चालू होता है तो वाईफाई काम करता है, वैसे ही फोन में चलने वाले इंटरनेट का राउटर मोबाइल टावर होता है. कई सारे मोबाइल टावर इसके लिए राउटर का काम करते हैं. इसे दो तरह से बंद किया जा सकता है. अगर आप वाईफाई राउटर बंद कर देंगे तो फोन में वाईफाई के सिग्नल आने बंद हो जाएंगे. ऐसी स्थिति में वाईफाई का कोई इस्तेमाल नहीं हो सकेगा. लेकिन अगर आपका वाईफाई सर्विस प्रोवाइडर आपकी सर्विस बंद कर देगा तो आपका राउटर काम करता रहेगा, मोबाइल में वाईफाई सिग्नल आएंगे लेकिन इंटरनेट नहीं चल सकेगा. जैसे वाईफाई का एक सर्विस प्रोवाइडर है वैसे ही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) होते हैं.

मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां ISP होती हैं. सरकार के पास ऐसा कोई बटन नहीं होता है जिसे दबाने से इंटरनेट बंद होता हो. सरकार ISP कंपनियों को आदेश देती है और इंटरनेट बंद करवा देती है. ये कंपनियां सरकारी भी होती हैं और प्राइवेट भी. सरकारी कंपनियां का पूरा नियंत्रण सरकार के हाथ में हैं. निजी आईएसपी कंपनियों को सरकार लाइसेंस देती है. ऐसे में अगर ये सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करेंगी तो सरकार इनका लाइसेंस रद्द कर सकती है. इसलिए इन्हें सरकार के आदेश को मानना पड़ता है. ये आईएसपी कंपनियां इंटरनेट कनेक्टिविटी डिवाइसेज को बंद कर देती हैं. इससे फोन में सिग्नल आने के बावजूद इंटरनेट नहीं चलता.

जितने इलाके का इंटरनेट बंद करना होता है उतने इलाके के कनेक्टिविटी डिवाइसेज को बंद किया जाता है. यही वजह है कि मोबाइल इंटरनेट बंद होने के आदेश होने पर वाईफाई राउटर बंद नहीं होते. मोबाइल इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और वाई फाई सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां अलग अलग होने के चलते वाई फाई इंटरनेट चलते रहते हैं. कभी कभी ऐसा भी होता है कि सरकार कुछ वेबसाइटों पर रोक लगाती है. सरकार ने भारत में पिछले दिनों 700 पॉर्न वेबसाइटों का एक्सेस बंद किया था.

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वेबसाइट बंद दो तरीके से होती है. पहला तरीका है वेबसाइट के सर्वर को बंद करना. लेकिन इस परिस्थिति में वेबसाइट का सर्वर उस सरकार के अधिकार क्षेत्र में होना चाहिए. विदेशों से चलने वाली वेबसाइटों के सर्वर भी दूसरे देश में होते हैं. ऐसे में, सरकार उन सर्वरों को बंद नहीं कर सकती. दूसरा तरीका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों को नोटिस देकर उन डॉमेन को ब्लॉक कर दिया जाता है. ऐसे में, जब कोई व्यक्ति ब्राउजर में उस वेबसाइट का एड्रेस डालेगा तो इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर उस वेबसाइट को खोलेगा ही नहीं. ब्लॉक की गई वेबसाइट को वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क से एक्सेस किया जा सकता है.

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