मोदी सरकार NRC-CAA को लेकर लगातार बयान बदल रही है. अब असम डिटेंशन सेंटर को लेकर सरकार के झूठ का खुलसा हुआ है. सरकार को खुद ही पता नहीं है कि कितने डिटेंशन सेंटर हैं और किसकी क्या स्थिति है.
असम के डिटेंशन सेंटरों की क्या हालत है इसको लेकर सरकार से लगातार सवाल पूछे जा रहे हैं. इसी को लेकर 27 नवंबर को राज्यसभा में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने असम के डिटेंशन सेंटरों की हालत का जिक्र करते हुए बताया था कि इसमें 28 लोगों की मौत हुई है. लेकिन 22 दिसंबर को नरेंद्र मोदी दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली के दौरान एक दम अलग बयान दिया. और उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेंटर को लेकर जो भी बातें की जा रही हैं वो सब अफवाह है. उन्होंने कहा,
‘‘अच्छे पढ़े लिखे लोग भी डिटेंशन सेंटर के बारे में पूछ रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट देखी- जिसमें मीडिया के लोग पूछ रहे थे कि डिटेंशन सेंटर कहां है, लेकिन किसी को पता नहीं। पढ़ तो लीजिए की एनआरसी है क्या? अब भी जो भ्रम में हैं, उन्हें कहूंगा कि जो डिटेंशन सेंटर की अफवाहें हैं। वो सब नापाक इरादों से भरी पड़ी हैं। यह झूठ है, झूठ है, झूठ है। यह लोग झूठ बोलने के लिए किस हद तक जा रहे हैं। हमारे अधिकतर शरणार्थी पाकिस्तान से आए हैं, वे दलित परिवार से हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें पाक में बंधुआ मजदूर बनाकर रखा गया था।’’
पीएम के बयान के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी डिटेंशन सेंटर को लेकर जो बयान दिया वो अलग है. अमित शाह ने कहा- डिटेंशन सेंटर सतत प्रक्रिया है, अगर एक नागरिक पकड़ा जाता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में रखते हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में डिटेंशन सेंटर बनाए जाने की बात पर सफाई दी. अमित शाह ये तो नहीं बता पाए कि देश में कितने डिटेंशन सेंटर हैं लेकिन उन्होंने कहा कि असम में एक डिटेंशन सेंटर है.
गृहमंत्री ने ये भी कहा कि असम के अलावा कोई और डिटेंशन सेंटर है तो वो मेरी जानकारी में नहीं है. डिटेंशन सेंटर का मामला इसलिए भी गर्मा गया है क्योंकि खबरें ये आ रही हैं कि असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं और कर्नाटक में भी एक डिटेंशन सेंटर हाल ही में बनकर तैयार हुआ है. हालांकि अमित शाह ने ये भी कहा कि डिटेंशन सेंटर का एनआरसी से कोई लेना देना नहीं है. शाह ने ये भी कहा है कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर काम नहीं कर रहा है. लेकिन रिपोर्ट कुछ और कहती है. और अगर मोदी सरकार के ही आंकड़े देखें तो अगस्त 2016 में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं.
इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्टस बताती हैं कि असम के गोलापाड़ा में अवैध प्रवासियों के लिए पहला डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है. इसमें करीब 3 हजार लोगों को रखा जा सकता है. एक और रिपोर्ट बताती है कि असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं और इनमें 900 अवैध प्रवासियों को रखा गया है. 3 साल के दौरान यहां रखे गए लोगों में 28 की मौत हो गई है. लोगों की मौत की बात खुद गृह राज्य मंत्री ने मानी है. 27 नवंबर 2019 को तृणमूल सांसद डॉ शांतनु सेन के सवाल पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में जवाब दिया था- ऐसे कई सेंटर हैं. असम के डिटेंशन सेंटर में 28 लोगों की मौत हुई है. ये बात सही है.
डिटेंशन सेंटर को लेकर गृहमंत्रालय की नियमावली
अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों झूठ बोल रहे हैं ये बात इससे भी साबित होती है कि जुलाई 2019 में गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में कहा था- अवैध प्रवासियों को पहचानने, हिरासत में रखने और उन्हें प्रत्यर्पित करने के केंद्र के अधिकार को संविधान के तहत राज्यों को हस्तांतरित किया गया है. राष्ट्रीयता की पहचान और उन्हें प्रत्यर्पित किए जाने तक राज्यों को अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटरों में रखना चाहिए.
केंद्र ने राज्यों को केंद्र शासित प्रदेशों को मॉडल डिटेंशन सेंटर और होल्डिंग सेंटरों के संबंध में नियमावली 9 जनवरी को भेजी थी. केंद्र बार-बार राज्यों से डिटेंशन सेंटर स्थापित करने के संबंध में निर्देश भेजता रहा है. अब अगर इन सरकारी दस्तावेजों पर गौर करें तो एक बात स्पष्ट हो जाती है कि गृहमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों झूठ बोल रहे हैं.