नागरिकता का कानून को लेकर बढ़ते विरोध के बीच सरकार ने सफाई दी है. सरकार ने बताया है कि कानूनन कौन भारतीय है. नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर चल रहे उग्र प्रदर्शनों के बीच गृह मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को ये बयान आया है.
नागरिकता कानून को लेकर हो रहे हिंसक विरोध के बीच सरकार ने बताया है कि कौन भारतीय है. गृह मंत्रालय ने बताया है कि भारत में जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ या जिनके माता-पिता 1987 से पहले जन्मे हैं, वे कानूनन भारतीय नागरिक हैं. नागरिकता कानून 2019 के कारण या देशभर में एनआरसी लागू होने पर उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.
नागरिकता जन्म तिथि या जन्म स्थान से साबित की जा सकेगी
सरकार ने अपने बयान में ये भी बताया है कि नागरिकता कैसे साबित की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘भारत की नागरिकता जन्मतिथि या जन्मस्थान या दोनों से संबंधित कोई भी दस्तावेज देकर साबित की जा सकती है. आने वाले समय में गृह मंत्रालय नागरिकता साबित करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए काम कर रहा है।’
सरकार का कहना है कि भारतीय नागरिकों को माता-पिता या दादा-दादी के जन्म प्रमाणपत्र जैसे 1971 के पहले के दस्तावेजों से विरासत साबित नहीं करनी होगी. एक सूची में कई आम दस्तावेजों को शामिल करने की संभावना है, ताकि यह तय किया जा सके कि कोई भी भारतीय नागरिक बेवजह परेशान न हो.
गृहमंत्रालय का कहना है कि असम का मामला थोड़ा अलग है. उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून के 2004 के संशोधनों के मुताबिक, असम में रहने वालों को छोड़कर देश के बाकी हिस्से में रहने वाले ऐसे लोग जिनके माता या पिता भारतीय नागरिक हैं, लेकिन अवैध प्रवासी नहीं हैं, उन्हें भी भारतीय नागरिक ही माना जाएगा. क्योंकि असम में भारतीय नागरिक होने का आधार वर्ष 1971 बनाया गया है.
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