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दिल्ली अग्निकांड : मुशर्रफ की अपने दोस्त से आखिरी बातचीत दिल दहला देगी!

Delhi fire: Musharraf's last conversation with his friend will be heartbreaking!

देश की राजधानी दिल्ली में हुए एक भीषण अग्निकांड में 44 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इस हादसे के बाद इससे जुड़ी हुई कई कहानियों निकलकर सामने आ रही हैं. दिल्ली के अनाज मंडी इलाके की रविवार तड़के चार मंजिला बिल्डिंग में लगी आग ने 44 लोगों को लील लिया. मरने वाले ज्यादातर लोग बिहार के रहने वाले थे.

दिल्ली की अनाज मंडी की जिस इमारत में आग लगी उसमें करीब चार फैक्ट्रियां चल रही थीं. मरने वाले सभी मजदूर थे जो इन फैक्ट्रियों में काम कर रहे थे. ये अग्निकांड कैसे हुआ इसकी जांच चल रही हैं लेकिन इस हादसे से जुड़ी हुई कहानियों सुनकर आप सहम जाएंगे. इस अग्निकांड में एक मुशर्रफ नाम के युवक की भी मौत हो गई. मरने से पहले उसने अपने भाई से बात की थी. सुबह करीब पांच बजे उसने अपनी डूबती सांसों में अपने दोस्त से बात की थी. करीब साढ़े तीन मिनट की बातचीत के ऑडियो में वह बार-बार दोस्त से अपने परिवार और बच्चों का ध्यान रखने की गुहार लगाता रहा. मुशर्रफ ने दोस्त को बताया कि यहां आग लग गई है और बचने का कोई रास्ता नहीं है.

मुशर्रफ ने अपने दोस्त से फोन पर क्या कहा?

मुशर्रफ- हैलो मोनू, भैया आज खत्म होने वाला है. आग लग गई है. आ जइयो करोलबाग. टाइम कम है और भागने का कोई रास्ता नहीं है. खत्म हुआ भैया मैं तो, घर का ध्यान रखना. अब तो सांस भी नहीं ली जा रही.

मोनू- आग कैसे लग गई.

मुशर्रफ- पता नहीं कैसे. कई सारे लोग दहाड़ रहे हैं. अब कुछ नहीं हो सकता है. घर का ध्यान रखना.

मोनू- फायर ब्रिगेड को फोन करो.

मुशर्रफ- कुछ नहीं हो रहा अब

मोनू- पानी वाले को कॉल कर दो.

मुशर्रफ- कुछ नहीं हो सकता है. मेरे घर का ध्यान रखना. किसी को एक दम से मत बताना. पहले बड़ों को बताना (कराहते हुए या अल्लाह). मेरे परिवार को लेने पहुंच जाना. तुझे छोड़कर और किसी पर भरोसा नहीं है.

मुशर्रफ- अब सांस भी नहीं ली जा रही है.

मोनू- हैलो, हैलो (दूसरी ओर से उल्टी करने और कराहने की आवाज आई). वो गाड़ी नहीं आई पानी वाली?

मुशर्रफ- पूरी बिल्डिंग में आग लगी दिख रही है भैया. ऊपर वाला जैसे करे. आखिरी टाइम है ये.

मोनू- तू मत जाना मेरे भाई, निकलने या कूदने का कोई रास्ता नहीं है क्या?

मुशर्रफ- नहीं कोई रास्ता नहीं है.

मोनू- भाई बचने की कोशिश कर, किसी तरह निकल वहां से (मृतक के कराहने की आवाज आती है).

मुशर्रफ- अब तो गए भैया. तीसरे, चौथे माले तक आग लगी है. किसी से जिक्र मत करना ज्यादा. 

मोनू- आग पहुंच गई है या धुआं आ रहा है. बाहर छज्जे की ओर आ जा। 

मुशर्रफ- भाई, जैसे चलाना है वैसे मेरा घर चलाना. बच्चों और सब घर वालों को संभालकर रखना. एक दम से घर मत बताना. भैया मोनू तैयारी कर ले अभी आने की.

ये मृतक मुशर्रफ के दोस्त मोनू के फोन से हुई रिकॉर्डिग है. दिल्ली अग्निकांड में इस तरह की कई कहानियां हैं जिन्हें सुनकर दिल तड़प जाएगा. इस हादसे में मरने वालों का आंकड़ा अभी बढ़ सकता है. बताया जा रहा है कि जिस इमारत में आग लगी उसने फायर डिपार्टमेंट से एनओसी नहीं ले रखी थी. दिल्ली सरकार ने कहा है कि इस घटना की जांच कराई जाएगी और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी.

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