भारतीय सेना दुनिया की सक्षम सेनाओं में शुमार होती है. लेकिन इस वक्त सेना की सिरदर्दी भी कम नहीं है. शुक्रवार को संसद में पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी CAG की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना को हथियारों की सप्लाई करने वाले ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) हथियारों की मांग पूरी करने में सक्षम नहीं है
शुक्रवार को संसद में पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी CAG की रिपोर्ट पेश की गई. इस रिपोर्ट में ये कहा है कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां न सिर्फ हथियारों की मांग को पूरा करने में अक्षम साबित हो रही हैं बल्कि कुछ मामलों में इन हथियारों की गुणवत्ता भी खराब है. इस वक्त ये फैक्ट्रियां सेना की सबसे बड़ी सिरदर्दी बन गई हैं. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक ओएफबी का प्रदर्शन चिंतित करने वाला है. रिपोर्ट में कहा गया है कि,
थलसेना और नौसेना ने 2013-14 से 2017-2018 तक नौ तरह के हथियारों में फ्यूज से जुड़ी खामियों के चलते हुईं 36 घटनाएं हुईं. इस तरह की खामियों के चलते हर हफ्ते कम से कम एक बार जान जाने, चोट लगने या उपकरणों को नुकसान पहुंचने जैसे हादसे हुए हैं.
मौजूदा वक्त में देश में 41 ऑर्डिनेंस फैक्टरियां हैं. ये वो फैक्ट्रियों हैं जो देश की सेनाओं को हथियार मुहैया कराती हैं. इस फैक्ट्रियों में करीब एक लाख 25 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. हमारी सेनाओं को ये फैक्ट्रियां राइफल, बंदूक, गोला-बारूद, कैमिकल, पैराशूट, टैंक, बुलेट और माइंस प्रूफ गाड़ियां देती हैं. इन फैक्ट्रियों को जो ऑर्डर मिलते हैं उनमें से करीब 80% सेना से मिलते हैं. बाकी 20 % गृह मंत्रालय के तहत आने वाले अर्ध-सैनिक बलों और राज्यों की पुलिस की ओर से. लेकिन अब इन फैक्ट्रियों के बनाए गए उत्पातों पर सवाल उठ रहे हैं.