क्या लॉक हो गई है शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की डील?
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन भले ही लग गया हो लेकिन सरकार गठन को लेकर कवायद जारी है. शिवसेना-एनसीपी- कांग्रेस के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को लेकर एक अहम बैठक हुई. कहा जा रहा है कि इस बैठक में जो मसौदा तैयार किया गया है वह तीनों पार्टियों के हाईकमान के सामने पेश किया जाएगा और उसके बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी.
महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस ने अपनी कोशिशें जारी रखी हैं. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, शिव सेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर एक बैठक की जिसमें तीनों ही दलों ने साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनाने पर चर्चा की. महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों के बाद इन तीनों दलों की यह पहली बैठक थी. एनसीपी और कांग्रेस के साथ बैठक में शिव सेना के विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे शामिल हुए. उन्होंने बताया कि तीनों ही दलों ने मिलकर एक साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार कर दिया है, इस मसौदे को तीनों ही दलों के प्रमुखों के साथ साझा किया जाएगा.
अमित शाह ने ठहराया था शिवसेना को दोषी
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में अनिश्चितता की स्थिति को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि राज्य में जो स्थिति है उसके लिए शिवसेना जिम्मेदार है ना कि भारतीय जनता पार्टी. उन्होंने कहा था, शिवसेना कुछ ऐसा मांग रही है जो किसी भी कीमत पर दिया नहीं जा सकता चुनाव से पहले गठबंधन के तहत जो बातें तय हुई थी वह सभी बातें हम पूरी करने के लिए तैयार हैं लेकिन शिवसेना मानने को तैयार नहीं है.
मुस्लिमों को आरक्षण देने को तैयार शिवसेना
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक शिवसेना कई मुद्दों पर मानने को तैयार हो गई है. जैसे महाराष्ट्र में मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए भी सेना मान गई है. अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना से इस बात पर पुष्टि की है कि वह शिक्षा में मुस्लिमों को दिए जाने वाले पांच प्रतिशत आरक्षण का विरोध नहीं करेगी. यह नीति कांग्रेस-एनसीपी ने अपनी पिछली सरकार में शुरू की थी लेकिन भाजपा-शिवसेना की सरकार ने इसे अपनी सरकार में लागू नहीं किया था. इसके अलावा तीनों ही पलों में वीर सावरकर को भारत रत्न देने के मामले पर भी बातचीत हुई है.