जिन्होंने लड़ी अयोध्या में राम मंदिर की लड़ाई

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9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ कर दिया. कोर्ट ने जमीन का वह हिस्सा हिंदू पक्ष को दिया है जो विवादित था और जहां पर बाबरी मस्जिद थी.

सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही अपना फैसला सुनाया वैसे ही बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करके विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रह चुके दिवंगत अशोक सिंघल को भारत रत्न देने की मांग कर डाली. सिंघल 20 साल तक विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष रहे. माना जाता है कि सिंघल ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने अयोध्या विवाद को स्थानीय ज़मीन विवाद से अलग देखा और इसे राष्ट्रीय आंदोलन बनाने में अहम भूमिका निभाई.

सुब्रमण्यम स्वामी ने जो ट्वीट किया उसके बाद राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए बाकी नेताओं का भी जिक्र होने लगा. अशोक सिंघल के अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी उन नेताओं में शामिल है. राम मंदिर आंदोलन में 1990 के दशक में बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी सबसे प्रमुख चेहरा बने इसीलिए जब सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा फ़ैसला आया तो केंद्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिव सेना के मुखिया उद्धव ठाकरे ने कहा कि वो आडवाणी से मिलने जाएंगे और उन्हें बधाई देंगे,

“उन्होंने इसके लिए रथ यात्रा निकाली थी. मैं निश्चित रूप से उनसे मिलूंगा और उनका आशीर्वाद लूंगा.”

उद्धव ठाकरे के अलावा उमा भारती ने भी लालकृष्ण आडवाणी को याद किया. बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने ट्वीट कर अशोक सिंघल और आडवाणी का अभिनंदन किया है. उमा भारती अदालत का निर्णय आने के तुरंत बाद आडवाणी से मिलने उनके घर गईं, उन्होंने मीडिया से कहा कि

“आज आडवाणी जी के सामने माथा टेकना ज़रूरी है. लालकृष्ण आडवाणी जी का अभिनंदन जिनके नेतृत्व में हम सब लोगों ने इस महान कार्य के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया था”

हालांकि उमा भारती खुद भी राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन में शामिल नहीं है. राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद लगातार यह भी सवाल उठ रहा है कि इसका श्रेय किसे दिया जाना चाहिए. कुछ लोग इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे रहे हैं कुछ लोग इसका श्रेय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दे रहे हैं. लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि मंदिर निर्माण के लिए जिन लोगों ने लड़ाई लड़ी उसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, प्रवीण तोगड़िया और विष्णु हरि डालमिया के नाम प्रमुख रहे हैं.

यह भी बताने की जरूरत नहीं है कि राम मंदिर का भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में क्या योगदान है. 2 सीटों से लेकर आज तीन सौ से ज्यादा सीटें जीतने के पीछे भी कहीं ना कहीं राम मंदिर का मुद्दा अहम रहा है. अब जब राम मंदिर बनने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रास्ता साफ कर दिया है तो उन लोगों को याद करना भी जरूरी है जिन लोगों ने राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन खड़ा किया और लड़े.

लालकृष्ण आडवाणी

आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा शुरू की थी. हालांकि बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने समस्तीपुर ज़िले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. चार्जशीट के अनुसार, आडवाणी ने छह दिसंबर 1992 को कहा था,

”आज कारसेवा का आखिरी दिन है.”

आडवाणी के ख़िलाफ़ मस्जिद गिराने की साज़िश का आपराधिक मुकदमा अब भी चल रहा है.

कल्याण सिंह

6 दिसंबर 1992, यह वह तारीख थी जब बाबरी मस्जिद गिराई गई इस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे. उन पर आरोप है कि उनकी पुलिस और प्रशासन ने जान—बूझकर कारसेवकों को नहीं रोका. कल्याण सिंह का नाम उन 13 लोगों में शामिल था जिन पर मस्जिद गिराने क साज़िश का आरोप लगा था.

अशोक सिंघल

मंदिर निर्माण आंदोलन चलाने के लिए जनसमर्थन जुटाने में अशोक सिंघल की अहम भूमिका रही. कई लोगों की नजरों में वह राम मंदिर आंदोलन के ‘चीफ़ आर्किटेक्ट’ थे. वह 2011 तक वीएचपी के अध्यक्ष रहे और फिर स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. 17 नवंबर 2015 को उनका निधन हो गया.

मुरली मनोहर जोशी

1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय मुरली मनोहर जोशी आडवाणी के बाद बीजेपी के दूसरे बड़े नेता थे. छह दिसंबर 1992 को घटना के समय वह विवादित परिसर में मौजूद थे. गुंबद गिरने पर उमा भारती उनसे गले मिली थीं.

साध्वी ऋतंभरा

साध्वी ऋतंभरा एक समय हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता थीं. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में उनके ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश के आरोप तय किए गए थे. अयोध्या आंदोलन के दौरान उनके उग्र भाषणों के ऑडियो कैसेट पूरे देश में सुनाई दे रहे थे जिसमें वे विरोधियों को ‘बाबर की आलौद’ कहकर ललकारती थीं.

विनय कटियार

राम मंदिर आंदोलन के लिए 1984 में ‘बजरंग दल’ का गठन किया गया था और पहले अध्यक्ष के तौर पर उसकी कमान आरएसएस ने विनय कटियार को सौंपी थी. बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जन्मभूमि आंदोलन को आक्रामक बनाया. छह दिसंबर के बाद कटियार का राजनीतिक कद तेजी से बढ़ा. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भी बने. कटियार फ़ैज़ाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट से तीन बार सांसद चुने गए.

प्रवीण तोगड़िया

विश्व हिंदू परिषद के दूसरे नेता प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर आंदोलन के वक्त काफी सक्रिय रहे थे. अशोक सिंहल के बाद विश्व हिंदू परिषद की कमान उन्हें ही सौंपी गई थी. हालांकि हाल ही में वीएचपी से अलग होकर उन्होंने अंतराष्ट्रीय हिंदू परिषद नाम का संगठन बनाया.

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उमा भारती

मंदिर आंदोलन के दौरान महिला चेहरे के तौर पर उनकी पहचान बन कर उभरी. लिब्रहान आयोग ने बाबरी ध्वंस में उनकी भूमिका दोषपूर्ण पाई. उन पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगा जिससे उन्होंने इनकार किया था. वह केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रहीं. हालांकि ने 2019 के संसदीय चुनावों से अलग रहीं और बीजेपी की जीत के बाद वो मंत्री भी नहीं रहीं.

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