सरकार क्यों और कैसे कर रही है आपके व्हाट्सएप की निगरानी?
जब से यह बात सामने आई है कि सरकार आपके व्हाट्सएप की निगरानी कर रही है तब से निजता के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठन और लोग सरकार को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं. आपके व्हाट्सएप की निगरानी कैसे और क्यों कराई जा रही है यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है.
मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप में इसराइली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के ज़रिए भारतीयों की जासूसी करने के मामले में भारत सरकार ने व्हाट्सऐप से जवाब तलब किया है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है. उन्होंने ट्वीट किया,
“मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप पर भारत के नागरिकों की निजता के उल्लंघन को लेकर भारत सरकार चिंतित है. हमने व्हाट्सऐप से पूछा है कि यह किस प्रकार का उल्लंघन है और करोड़ों भारतीयों की निजता की सुरक्षा के लिए वह क्या कर रहा है.”
व्हाट्सऐप में इस स्पाईवेयर के ज़रिए दुनियाभर के जिन 1400 लोगों को निशाना बनाया गया है, उनमें भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी शामिल हैं.
लेकिन जिस एप्स से सबसे ज़्यादा फ़ेक न्यूज़ फैली वह है व्हाट्सऐप. भारत में व्हाट्सऐप के 40 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं. पिछले साल जब अफ़वाहों के चलते भीड़ की हिंसा के कई मामले सामने आए तो सरकार ने व्हाट्सऐप से अपील की कि वह इन ग़लत सूचनाओं को फ़ैलने से रोकने के इंतजाम करे. व्हाट्सएप के जरिए हो रही है जासूसी को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर भी सवाल खड़े किए हैं. राहुल गांधी ने कहा है की व्हाट्सएप की जासूसी मामले में केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया ठीक वैसे ही है जैसे राफेल के मामले में सरकार यह कहे किस में हुए भ्रष्टाचार का पैसा कहां गया.
यह भी पढ़ें
- क्या है लॉकबिट जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है?
- शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश ने दी मुश्किल मोर्चे की जिम्मेदारी, जानिए बदायूं से क्यों लाड़वा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
- CII India Europe Business and Sustainability Conclave 2024: एजुकेशन सेक्टर में अडानी ग्रुप नया एक्सपेरिमेंट, यूरोप की बड़ी आईटी कंपनी जॉइस्ट इनोवेशन पार्क से किया एमओयू
- दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा कहां है?
- Online Gambling: लूट के तंत्र ने कानून को किया बेबस
फेक न्यूज़ और व्हाट्सएप के जरिए हो रही है जासूसी को रोकने के लिए भारत का सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अगले साल जनवरी से कुछ नए नियम जारी करने जा रहा है. इन नए नियमों की ज़द में वो कंपनियां आएंगी जो लोगों को मैसेज भेजने का मंच प्रदान करती हैं. एक आंकड़े के मुताबिक पिछले कुछ साल में सैनिक कई अखबारों में करीब 40 लोगों की मौत हो गई. आशिक न्यूज़ के जरिए कई गलत तथ्य और भ्रामक जानकारियां लोगों तक पहुंची.