कांग्रेस की आंखें खुलीं, जीेतने के लिए बनाई ये रणनीति

0
Congress's eyes opened, this strategy was made to win

देर से ही सही लेकिन कांग्रेस की आंखें खुल गई हैं. अर्थव्यवस्था को लेकर अब सुस्त पड़ी कांग्रेस बीजेपी को घेरने की तैयारी कर रही हैं. पार्टी ने इसके लिए खास रणनीति बनाई है.

कांग्रेस ने आर्थिक मंदी पर 1 से 8 नवंबर तक 35 प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का फैसला किया है. इसे मुद्दे पर 5 नवंबर से 15 नवंबर तक देशव्यापी प्रदर्शन भी करने जा रही है. अर्थव्यवस्था की हालत तो लंबे समय से ख़राब होती जा रही है, लेकिन सुस्त पड़ी कांग्रेस अब इस मुद्दे पर अचानक से तेज़ क्यों दिखने लगी है? ये अहम बात है. क्योंकि जो कांग्रेस अचानक चुस्त हुई है वो वही कांग्रेस है जो लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद धाराशाई हो गई थी. राहुल गाँधी ‘कोपभवन’ में चले गए थे और उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ दिया था. लेकिन अब पार्टी में नई जान फूंकने की तैयारी हो गई है.

महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस अचानक ऊर्जावान दिखने लगी है. इन दोनों ही चुनाव में मृतप्राय कांग्रेस जानदार नजर आई है और बीजेपी को दोनों ही राज्यों में पार्टी ने चुनौती दी है. क्या ऐसी तेजी आने की कोई और वजह है? क्या कांग्रेस दोनों राज्यों में चुनाव और कई राज्यों में उप चुनाव के ख़त्म होने का इंतज़ार कर रही थी या संसद के शीतकालीन सत्र के शुरू होने के इंतज़ार में थी? संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर से शुरू होने वाला है और यह 13 दिसंबर तक चलेगा.

कांग्रेस की लोकसभा के शीतकालीन सत्र में आर्थिक मंदी के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने के तैयारी कर रही है. लिहाजा सत्र शुरु होने से पहले वो बाहर इस मुद्दे को जम कर उठाएगी. कांग्रेस पूरे देश में आर्थिक मंदी को लेकर विरोध प्रदर्शन करेगी. और इसको लेकर कांग्रेस विपक्षी दलों को भी साथ लेने की कोशिश में है. कांग्रेस ने प्रदर्शन की घोषणा तो पहले ही 12 सितंबर को कर दी थी कि आर्थिक मंदी के मुद्दे पर पार्टी 15 से 25 अक्टूबर तक देशव्यापी प्रदर्शन करेगी, लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया था. अब इसकी शुरुआत नवंबर के पहले हफ्ते से हो रही है.

आर्थिक मंदी से हाल बेहाल

इसमें कोई शक नहीं है कि इस समय देश में आर्थिक स्तर पर कई चुनौतियां हैं. कांग्रेस आर्थिक मंदी पर इसलिए प्रदर्शन कर रही है क्योंकि उसे लगता है कि यह हर देशवासी को बहुत ज़बरदस्त तरीक़े से प्रभावित कर रही है. हर क्षेत्र में माँग और ख़पत कम होती जा रही है, उत्पादन गिरता जा रहा है। वाणिज्यिक कामकाज लगभग हर क्षेत्र में धीमी गति से चल रहा है। देश के 22 में से 15 सेक्टर मंदी की चपेट में हैं. आठ कोर सेक्टर में से 5 में नकारात्मक यानी शून्य से कम वृद्धि है. देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक साढ़े छह साल में सबसे कम है. अभी जो हालात हैं वो फरवरी 2013 के बाद के सबसे विकट हालात हैं. देश के 23 औद्योगिक समूहों में से 15 में निर्माण वृद्धि घटती हुई नकारात्मक हो गई है.

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर फेल रहे मोदी

कांग्रेस जानती है कि अगर वो अर्थव्यवस्था को मुद्दा उठा लेते हैं तो उसके लिए ये बेहतर होगा औ बीजेपी के लिए मुश्किल होगा. क्योंकि मोदी अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर पूरी तरह से फेल साबित हुए हैं. भारत की जीडीपी पाँच फ़ीसदी पर पहुँच गई है. विश्व बैंक ने भारत की अनुमानित वृद्धि दर 6.9 फ़ीसदी से घटाकर 6 फ़ीसदी कर दी है. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ ने 2019-2020 के लिए भारत के जीडीपी की अनुमानित वृद्धि दर घटाकर 5.8 फ़ीसदी कर दी थी. मूडीज ने वृद्धि दर कम रहने के पीछे निवेश और माँग में कमी, ग्रामीण इलाक़ों में मंदी और रोज़गार के मौक़े बनाने में नाकामी को कारण बताया था. मूडीज़ ने कहा था कि ये कारण लंबे समय तक बने रहेंगे. इन सब परिस्थितियों के बावजूद अब यह दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस आर्थिक मंदी को कितना बड़ा मुद्दा बना पाती है.

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *