पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी तहरीके इंसाफ के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों में कई कंटेनरों का इंतजाम किया गया है. कंटेनरों के इस्तेमाल के पीछे भी एक कहानी है. नेताओं का कहना है कि इनसे विरोध करना आसान होता है.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की सरकार के खिलाफ जमीअत उलेमा-ए-इस्लाम ने रविवार को अपना आज़ादी मार्च शुरू किया है. ये मार्च सिंध प्रांत की राजधानी कराची से शुरू होकर सड़क के रास्ते पंजाब और फिर राजधानी इस्लामाबाद पहुंचेगा. इस मार्च का पीपीपी और नवाज़ शरीफ की पार्टी ने भी समर्थन किया है. इस मार्च की खास बात ये है कि इसमें बड़े पैमाने पर कंटेनरों का इस्तेमाल किया गया है. इससे पहले इमरान खान, ताहिरुल क़ादरी और मौलाना फ़जलुर्रहमान ने पकिस्तान में जो भी बड़े विरोध प्रदर्शन, लॉन्ग मार्च, सभाएं या धरने किए हैं उनमें केंद्रीय भूमिका (राजनेताओं के बाद) कंटेनर की रही है.
वैसे तो कंटेनर सामान को लाने ले जाने के लिए प्रयोग होते हैं. लेकिन पकिस्तान में इसका वो इस्तेमाल हो रहा है जो शायद बनाने वालों ने भी न सोचा होगा. इनमे नेताओं के लिए पूरी सुविधाएं होती है. इमरान ख़ान के धरने से लेकर अल्लामा ताहिरुल क़ादरी और नवाज़ शरीफ के जी.टी. रोड मार्च में कंटेनर का प्रयोग किया गया था लेकिन मौलाना फ़ज़लुर्रहमान जो आज़ादी मार्च के नेता है उन्होंने इन तमाम राजनेताओं को पीछे छोड़ दिया है और उनके लिए एक ऐसा ‘कारवां होम’ मंगवाया गया है जिसमें एक घर की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
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कारवां होम जापान से मंगवाया गया है और इसमें सभी आधुनिक सुविधाएं हैं. जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ़) के प्रमुख मौलान फ़जलुर्रहमान आज़ादी मार्च कारवां होम में कर रहे हैं. यह कारवां अंदर से काफ़ी ख़ूबसूरत है लेकिन बाहर से भी कुछ बुरा नहीं है. पाकिस्तान में राजनीतिक पार्टियां अपने नेताओं के लिए इस तरह के कंटेनरों का इस्तेमाल खूब करती हैं. इन नेताओं का मानना है इससे शहर जाम करना आसान होता है.