दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. लोग मां को खुश करने के लिए साफ सफाई करते हैं और मांग की आराधना करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां लक्ष्मी की 72 किलो की इकलौती प्रतिमा कहां है?
कांचीपुरम जिसे आदि शंकराचार्य की कर्मभूमि कहते हैं वहां से करीब 70 किलोमीटर दूर है श्रीपुरम् या श्रीनारायणी पीडम. श्रीपुरम का अर्थ होता है लक्ष्मी का निवास स्थान. श्रीपुरम में 1500 किलो सोने से बने श्री लक्ष्मी नारायणी स्वर्ण मंदिर का कोना-कोना दमकता है. यहां दिवाली पर खास ही रौनक होती है और कहा जाता है कि यहां पर 32 हजार दीपकों की लौ और रंग-बिरंगी रोशनी से मंदिर में सजावट होती है. दीपावली की विशेष सजावट में घी के 10008 दीये तो श्रीयंत्र की आकृति में ही यज्ञशाला में लगाए जाएंगे.
श्रीपुरम में मां लक्ष्मी का मंदिर सौ एकड़ में फैला है और श्रीयंत्र डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में है. इसके बीचों-बीच मंदिर है. दीपोत्सव के पांच दिनों में इस बार श्रद्धालुओं की संख्या ढाई लाख पर पहुंच रही है. यहां दीपावली पर लक्ष्मी की विशेष आराधना के बाद गोवर्धन पूजा पर भी बड़ा अनुष्ठान होगा. इस दिन करीब 11 घंटे के महायज्ञ के बाद महाआरती होगी. मंदिर में महालक्ष्मी की दो प्रतिमाएं हैं। एक 72 किलो सोने से बनी हुई है, जो चांदी के सिंहासन पर विराजित है.
दूसरी, काले पत्थर से बनी 5 फीट ऊंची महालक्ष्मी प्रतिमा है. यह देश का एकमात्र मंदिर है, जहां लक्ष्मी का जलाभिषेक होता है. यहां आने वाला हर भक्त स्वर्ण प्रतिमा का अभिषेक कर सकता है और इसका जल प्रसाद के रूप में अपने साथ ले जा सकता है. यहां हजारों की तादाद में श्रद्धालू मां के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.