अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ISIS के मुखिया बगदादी से जुड़ा हुआ बड़ा एलान करने की घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि वो रविवार को कोई बड़ी घोषणा करने वाली हैं. व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से घोषणा होने की जानकारी दी है लेकिन ये नहीं बताया है कि कैसी घोषणा होगी.
क्या ईराक और सीरिया में आतंक फैलाने वाली ISIS को अमेरिका ने मार गिराया है. क्या वाकई में इस बार अबु बक्र अल बगदादी को जान से मारने में अमेरिका को कामयाबी मिली है. ये सवाल इसलिए हैं क्योंकि इससे पहले भी कई बार उसके मारे जाने की बातें कही गईं हैं. ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि अमरीकी सेना ने इस्लामिक स्टेट समूह के ख़िलाफ़ ऑपरेशन चलाया है. राष्ट्रपति ट्रंप ने भी ट्वीट कर कहा है,
”अभी तुरंत कुछ बड़ा हुआ है.”
ट्रंप ने यह ट्वीट तीन घंटे पहले किया था. यानी अमरीकी समय के हिसाब से रात में 10.30 बजे. अमरीकी मीडिया के अनुसार ट्रंप ने अबु बक्र अल-बग़दादी को सीरियाई प्रांत इदलिब में टारगेट करने के लिए एक ऑपरेशन की अनुमति दी थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बगदादी की मौत हो गई है. हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. सीएनएन के मुताबिक अमेरिका ने बगदादी को मारने के लिए एक ऑपरेशन शुरु किया था जिसमें उसे कामयाबी मिली है.
अमेरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने बगदादी के लोकेशन का पता किया था. राष्ट्रपति ट्रंप रविवार को अमरीकी समय के हिसाब से सुबह नौ बजे इसकी घोषणा करेंगे. व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव होगन गाइडली ने सीएनएन से बताया है कि घोषणा विदेश नीति से जुड़ी है. इस पर अमरीकी सेना की तरफ़ से कोई बयान नहीं आया है. बताया जा रहा है कि बगदादी पिछले करीब पांच साल से अंडरग्राउंड था.
इसी साल अप्रैल के महीने में ISIS की मीडिया विंग अल-फ़ुरक़ान की ओर से एक वीडियो जारी करके कहा था कि बगदादी अभी जिंदा है. बगदादी को पहली बार 2014 में देखा गया था जब जुलाई 2014 में उसने मूसल की पवित्र मस्जिद में भाषण दिया था. इसके बाद फरवरी 2018 में अमेरिका ने बगदादी के जख्मी होने की खबर भी दी थी. बताया गया था कि 2017 में हुए एक हवाई हमले में बगदादी जख्मी हो गया था.
कौन है अबु बक्र अल बगदादी?
बगदादी ने 2010 में ISIS कमान संभाली थी. बगदादी को इब्राहिम अवाद इब्राहिम अल-बादरी के नाम से भी जानते हैं. वो 1971 में इराक के समार्रा में निम्न-मध्य वर्गीय सुन्नी परिवार में पैदा हुआ था. बगदादी का परिवार अपनी धर्मनिष्ठता के लिए जाना जाता था. बग़दादी के परिवार का दावा है कि जिस कबीले से पैगंबर मोहम्मद थे उसी उसी कबीले से वो भी है. यह परिवार पैगंबर मोहम्मद का वंशज होने का दावा करता है.
कहते हैं जब बगदादी युवा था तो उसे कुरान की आयतों को कंठस्थ हो गईं थीं और तभी से उसका जुझान इस्लामिक कानूनों की ओर गया. बगदादी घोर इस्लामिक था और अपने रिश्तेदारों को बहुत ही सतर्क भरी नज़रों से देखते थे कि इस्लामिक कानून का पालन हो रहा है या नहीं. 1996 में उसने यूनिवर्सिटी ऑफ बगदाद से उसने धर्म की पढ़ाई की. इसके बाद 1999 से 2007 से के बीच कुरान पर इराक की सद्दाम यूनिवर्सिटी फोर इस्लामिक स्टडीज से मास्टर और पीएचडी की पढ़ाई की.
2004 तक बग़दादी बग़दाद के पास तोबची में दो पत्नियों और छह बच्चो के साथ रहे. इसी दौरान स्थानीय मस्जिद में वो पड़ोस के बच्चों को कुरान की आयतें पढ़ाते थे. इसके साथ ही वो फुटबॉल क्लब के भी स्टार थे. इसी दौरान बग़दादी के चाचा ने उन्हें मुस्लिम ब्रदरहूड जॉइन करने के लिए प्रेरित किया. 2003 के बाद से ही बगदादी ने बागी रुख अपना लिया था. इस साल ईराक में हुआ अमेरिकी हमलों के बाद वो विद्रोही गुट जैश अह्ल अल-सुन्नाह वा अल-जमाह के गठन से जुड़ गया.
फरवरी 2004 में अमरीकी बलों ने फलुजा में बग़दादी को गिरफ़्तार कर लिया और बक्का डिटेंशन कैंप में 10 महीने तक रखा. रिहा होने के बाद उसने खुद को धर्म से जोड़ लिया और बग़दादी ने इराक़ में अल-क़ायदा के प्रवक्ता से संपर्क किया. इसके बाद उसने आतंक का रास्ता चुना. बगदादी ने अल-क़ायदा के प्रॉपेगैंडा को फैलाने की ज़िम्मेदारी ली और अल-क़ायदा इन इराक़ को ही ख़त्म कर अबु अय्युब अल-मासरी ने इस्लामिक स्टेट इन इराक़ का गठन किया. इस समूह का अलक़ायदा से भी संबंध बना रहा.
कैसे बना आतंकी संगठन ISIS?
बगदादी ने समान विचारधारा के कई आतंकी संगठनों को एकजुट करने में कामयाबी हासिल की. लोग ISIS से ज्यादा जुड़ने लगे. इस्लामिक विश्वसनीयता के कारण बगदादी में आईएस के अलग-अलग धड़ों को एकजुट करने की क्षमता थी. इस्लामिक स्टेट से बग़दादी ने लोगों को जोड़ना शुरू किया. बग़दादी को शरिया कमिटी का पर्यवेक्षक बनाया गया. इसके साथ ही शुरा काउंसिल के 11 सदस्यों में बग़दादी को भी शामिल किया गया.
बाद में बग़दादी को आइएस की समन्वय समिति में रखा गया जिसका काम इराक़ में कमांडरों के बीच संवाद कायम करना था. अप्रैल 2010 में आईएस के संस्थापक के मारे जाने के बाद शुरा काउंसिल ने बग़दादी को आइएस का प्रमुख बना दिया. और यहीं से शुरु हुआ आतंक का नया अध्याय जिसनें दुनिया में नई दहशत को जन्म दिया.